रोनहाट, 26 नवंबर : हिमाचल प्रदेश में चुनावी आचार संहिता के बीच देवदार के हज़ारों हरे-भरे पेड़ों पर पीला पंजा चलाने का मामला सामने आया है। नागरिक उपमंडल शिलाई की ग्राम पंचायत भटनोल के जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने सड़क पर उतर कर अपना आक्रोश व्यक्त किया है।
भटनोल गांव के निवासी और स्थानीय पूर्व-प्रधान बंसी राम चौहान और स्थानीय पंचायत के वर्तमान उप-प्रधान अरुण चौहान, दीप चंद सहित दर्जनों ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए बताया कि नेशनल ग्रीन कॉरिडोर के तहत वर्ल्ड बैंक द्वारा वित्त पोषित और भारत सरकार के केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा लगभग 1356 करोड़ रुपये की लागत से एनएच 707 का निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। कार्य शुरू होने से पहले जब सरकार द्वारा डीपीआर बनाई जा रही थी, तो पंचायतों से ये कह कर प्रस्ताव और एनओसी लिए गए थे कि निर्माण कार्य के दौरान पहाड़ और प्राकृतिक संपदाओं को कम से कम नुकसान पहुंचा कर सड़क निर्माण का कार्य पूरा किया जाएगा। मगर जब काम शुरू हुआ तो निर्माण कार्य कर रही निजी कंपनियों द्वारा नियम और कानून को ताक पर रखकर देवदार के हज़ारों हरे-भरे पेड़ों पर पीला पंजा चलाकर जंगलों को उजाड़ा जा रहा है।
उन्होंने बताया कि पैकेज तीन का निर्माण कर रही निजी कंपनी द्वारा अकेले भटनोल वन क्षेत्र में ही वन विभाग की सरकारी भूमि पर लगे क़रीब 3 से 4 हज़ार देवदार के हरे-भरे पेड़ों को पीला पंजा चलाकर काटा गया है। इसके अलावा आरओडब्ल्यू से बाहर स्थित उनकी सैकड़ों बीघा उपजाऊ और मलकियत जमीन को भी निजी कंपनी ने बेतरतीबी से कटिंग का कार्य करके बेवजह नुकसान पहुंचाया है।
ग्राम पंचायत भटनोल के गिरनल मंदिर का संपर्क मार्ग और दूदवानी सहित अन्य गांव को सड़क से जोड़ने वाले अधिकांश पैदल रास्तों में खुदाई करने के बाद निजी कंपनियों द्वारा उन्हें दुरुस्त नहीं किया जा रहा है। ग्रामीणों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है। मुख्य पेयजल लाइनों को कंपनी द्वारा कटिंग के दौरान जगह-जगह तोड़ा गया है, मगर उसकी मरम्मत नहीं की जा रही है जिसके कारण क़रीब अढ़ाई हज़ार की आबादी को पेयजल किल्लत से जूझना पड़ रहा है। पंचायत प्रतिनिधियों ने बताया की पैदल मार्गों और पेयजल लाइनों को दुरुस्त करने के लिए कई बार प्रस्ताव दिए गए है। बावजूद उसके निजी कंपनी अपनी मनमानी कर रही है।
भटनोल पंचायत के जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए बताया कि निजी कंपनी द्वारा घटिया गुणवत्ता का निर्माण कार्य किया जा रहा है। उन्होंने सड़क किनारे बनाई गई दीवारों को तोड़कर उसकी गुणवत्ता को उच्चाधिकारियों द्वारा निष्पक्षता के साथ जाँचने का चैलेंज किया गया है। गुणवत्ता सही पाए जाने पर दीवार को तोड़ने से होने वाले कंपनी के नुकसान की भरपाई करने की बात भी ग्रामीणों द्वारा कही गई है। उन्होंने बताया कि उन्हें सड़क बनने से आपत्ति नहीं है, मगर सड़क बनाने के नाम पर अवैज्ञानिक तकनीक के उपयोग तथा निम्न गुणवत्ता युक्त निर्माण कार्य करके पहाड़ और प्राकृतिक संपदाओं को नुकसान पहुँचाने से आपत्ति है, क्यूँकि इससे उनका भविष्य खतरे में पड़ता दिखाई दे रहा है।
उधर, भटनोल वन क्षेत्र के बीट गार्ड प्रताप सिंह ने बताया की कॉर्पोरेट फर्म व कंपनियों पर नियमानुसार कार्रवाई करने का अधिकार केवल वन विभाग के उच्चाधिकारियों के पास है। बतौर बीट गार्ड वो अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा से निभा रहे है और नुकसान की विस्तृत रिपोर्ट समय-समय पर संबंधित वन परिक्षेत्र अधिकारी और श्री रेणुका जी वन मंडल के डीएफ़ओ को भेजते है। उन्होंने बताया कि देवदार के क़रीब 84 कटे हुए पेड़ों को उन्होंने अपने कब्जे में लेकर रेंज ऑफिस शिलाई में जमा करवाया है। उनकी जानकारी के अनुसार अभी तक वन विभाग द्वारा निजी कंपनी से कोई जुर्माना वसूल नहीं किया गया है।