नाहन, 17 सितंबर : पांवटा साहिब-कालाअंब नेशनल हाईवे पर कोलर गांव में “गजराज” (Elephant) दलबल सहित रात्रि ठहराव कर रहे हैं। हाथियों के झुंड में दो बच्चे भी हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक ग्रामीणों को शनिवार शाम हाथियों के झुंड के खेतों में मौजूद होने की भनक लगी। इसके बाद हाथियों के झुंड को खदेड़ने की भरसक कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। बताया जा रहा है कि अनजान इलाके में रात के वक्त हाथी कदमताल नहीं करते। सूरज की अंतिम किरण के फौरन बाद ही ठीक उसी जगह पर रुक जाते हैं, जहां वह मौजूद होते है।
ग्रामीणों के मुताबिक शिव मंदिर के समीप हाथियों का झुंड डेरा डाले हुए हैं। बता दें कि यमुना नदी (Yamuna River) का जलस्तर कम होने पर हाथियों का झुंड उत्तराखंड (Uttarakhand) की सीमा से हिमाचल (Himachal) में दाखिल हो जाता है। इसके बाद पांवटा साहिब उपमंडल के कई ग्रामीण इलाकों में से झुंड गुजरते हुए आगे बढ़ता रहता है।
हालांकि गजराज का पड़ोसी राज्य से आना-जाना काफी लंबे अरसे से लगा रहता है, लेकिन इस बार हाथियों के झुंड में संख्या 5 से 6 की है। ऐसा भी बेहद ही कम होता है कि रात के वक्त हाथी आबादी वाले इलाके के नजदीक ठहर जाएं। कुछ बरस पहले एक हाथी मोगी नंद के इलाके तक भी पहुंच गया था। इससे पहले एक मर्तबा शंभू वाला के नजदीक भी हाथी ने पोपलर (Cottonwood) के पेड़ों की ओट में रात बिताई थी।
कुत्तों के भौंकने की वजह से ग्रामीणों को हाथी की मौजूदगी का एहसास हुआ था। कोलर से मिली जानकारी के मुताबिक गांव के आस-पास हाथियों का झुंड मौजूद होने पर सावधानी बरती जा रही है। वहीं एक मर्तबा हाथी पांवटा साहिब शहर में भी दाखिल हो गया था।