सुंदरनगर, 08 अप्रैल : पूर्व विधायक एवं कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सोहनलाल ठाकुर ने आरोप लगाया है कि विधायक ने मुख्यमंत्री से अवैध स्थापित मूर्ति का अनावरण करवाया है। अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने का कार्य पहले करवाए जा रहे फिर फर्जी टेंडर बाद में हो रहा है। उन्होंने भाजपा विधायक व लोक निर्माण विभाग सुंदरनगर मंडल पर टेंडर प्रक्रिया को महज औपचारिकता निभाना करार दिया है। उन्होंने कहा कि यदि इस तरह के कार्य करने हैं तो फिर टेंडर की औपचारिकता भी क्यों निभाई जा रही है।
सोहनलाल ठाकुर ने कहा कि सिनेमा चौक में महाराणा प्रताप की मूर्ति स्थापना को लेकर लोनिवि की ओर से पांच अप्रैल तक टेंडर आमंत्रित किए गए है, और उसी दिन उनको खोला जाना प्रस्तावित था। टेंडर खुलने के उपरांत बाकी प्रक्रिया को करीब एक माह का समय लग जाता है परंतु इसी कार्य का 6 अप्रैल को मुख्यमंत्री लोकार्पण भी कर देते,जो अपने आप में एक गंभीर विषय है तथा भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। उन्होंने इस मामले की जांच की मांग करते हुए कहा कि टेंडर प्रक्रिया पारदर्शिता के लिए अपनाई जाती है परंतु यहां ऐसा कुछ नहीं किया गया। कार्य पहले ही अपने लोगों से करवा दिया गया और बाद में टेंडर निकाले जा रहे है। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भी करीब डेढ वर्ष पहले सड़क की टारिंग को लेकर ऐसा किया गया था तथा उस मामले की भी जांच चल रही है।
उन्होंने कहा भाजपा नियमों को ताक पर रखकर कार्य कर रही है, और विकास कार्यों के नाम पर केवल अपनों को ही फायदा पहुंचाया जा रहा है। कांगू में सड़क मार्ग का पहले पैचवर्क करवाया जाता है तथा बाद में पूरी सड़क की टारिंग की जाती है। ऐसे में अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए पैसे की बर्बादी भी की जा रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कहते हैं कि प्रदेश को भ्रष्टाचार के नाम पर बदनाम न किया जाए। वहीं दूसरी ओर इस तरह का भ्रष्टाचार सरेआम किया जा रहा है।
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सोहनलाल ठाकुर ने कहा कि सुंदरनगर में प्राकृतिक जल स्त्रोत पर्याप्त मात्रा में है, परंतु सरकार व विभाग लोगों को बीएसएल झील के पानी की आपूर्ति कर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस पानी की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से करवाकर शहरवासियों को इसकी गुणवत्ता को लेकर आश्वस्त किया जाए उसके बाद ही इस पानी की आपूर्ति की जाए। पहले विभाग सुनिश्चित करे कि यह पानी पीने योग्य है उसके बाद ही शहर को आपूर्ति की जाए। किसी स्वतंत्र एजेंसी से इसकी जांच करवाकर उसे सार्वजनिक करें ताकि शहरवासियों को पानी की गुणवत्ता को लेकर किसी प्रकार का कोई भ्रम न रहे।