शिमला, 30 मार्च : हिमाचल में वाहन पर VIP नंबर को लेकर 2012 में नियम था ‘पहले आओ और पहले पाओ’, इसके लिए मोटी फीस भी रखी गई थी।
लेकिन न्याय पाने के लिए सुंदरनगर के अश्वनी सैनी को दस वर्ष की लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। आवेदन के बावजूद अश्वनी सैनी को नंबर ( Number Registration) जारी नहीं हुआ तो उच्च न्यायालय (High Court) की शरण ली। 2014 में उच्च न्यायालय ने प्रार्थी के पक्ष में आदेश दे दिए थे,लेकिन ब्यूरोक्रेसी (Bureaucracy) व राजनेता इतने प्रभावशाली थे कि आठ साल तक कोर्ट के आदेश की पालना नहीं की गई। आखिर प्राथी ने 2020 में पुनः याचिका (Petition) दायर की। इसके बाद प्रार्थी को न्याय मिल पाया।
न्यायालय ने 2020 से लंबित मामले में हिमाचल परिवहन (Himachal Transport) सचिवालय व निदेशालय (Directorate) से (HP 33 F- 0001) नंबर अश्वनी सैनी को आवंटित करने के निर्देश दिए है। इस सम्बन्ध में एनआईसी को वाहन पोर्टल में प्रावधान करने को कहा गया है। शीघ्र ही नंबर अलॉट(Allot) हो जाएगा।
क्या है मामला…
2012 में भुगतान पर विशेष नम्बर के नियम के तहत अश्वनी सैनी ने उस समय अपने नए खरीदे महिंद्रा एक्सयूवी 500 वाहन के लिए “0001” पाने के लिए RLA मंडी, देहरा व सुंदरनगर में आवेदन किया। उपलब्ध होने के बावजूद विशेष नंबर नहीं दिया गया, जबकि प्रभावशाली व उच्च पहुच वाले व्यक्तियों को नम्बर दे दिए गए। इससे आहत होकर एसडीएम, देहरा, मंडी, सचिव व निदेशक परिवहन विभाग शिमला के खिलाफ 2013 में याचिका दायर की।
(सी.डब्लू.पी.9089) का निपटारा न्यायाधीश राजीव शर्मा और सुरेश्वर ठाकुर की खंड़पीठ ने परिवहन विभाग के तत्तकालीन सचिव गोपाल शर्मा (ट्रांसपोर्ट ) को (HP 0001) नंबर जारी करने के आदेश 13 नवम्बर 2014 को दिए। लेकिन कई माह बीत जाने पर भी विभाग ने नंबर जारी नहीं किया।
इसी बीच विभाग ने नई रजिस्ट्रेशन पॉलिसी बना डाली। जिसमें 1 से 10 नंबर सरकारी वाहनों के लिए आरक्षित कर दिए गए। इसके आधार पर सैनी की नम्बर देने से इंकार कर दिया गया। आखिर अश्वनी ने पुनः 2020 में उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की। इसके बाद हाई कोर्ट के आदेश पर विभाग ने कैबिनेट की अप्रूवल उपरांत अश्वनी को (HP 33 F-0001) नंबर जारी करने के आदेश एसडीएम मंडी को दिए है।
2015 से VIP नम्बर..
हाईकोर्ट के आदेशों के बाद ट्रांसपोर्ट विभाग ने नई रजिस्ट्रेशन पॉलिसी का प्रारूप 24 सितम्बर 2015 को तैयार कर डाला। निजी वाहनों के लिए 1 से 10 वीआईपी नम्बर अलाट करने पर पाबंदी लगा दी गई। मात्र सरकारी वाहनों के लिए इन्हे सुरक्षित रख लिया। सरकारी वाहन के लिए रजिस्ट्रीकरण फीस 1 लाख कर दी गई।
इससे पूर्व यह नम्बर आम जनता के लिए 75-50 हजार में “पहले आओ पहले पाओ” के आधार पर उपलब्ध थे।
नेताओं व प्रशासनिक के VIP नंबर
विभाग में “फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व” की नीति के बावजूद हिमाचल में वीआईपी नंबरों के चाहवान आम नागरिक नहीं ले सकते। इसका मकसद सरकार के खजाने की आमदनी भी थी। लेकिन मुफ्त में करोड़ों के वीआईपी नंबरों पर डाका डाला गया है।
आरटीआई के तहत हुए एक ऐसे ही खुलासे में सुंदरनगर उपमंडल में 2003 में जारी हुए पेड (HP 31B-0001) नंबर को अधिकारियों ने वर्षो दबाए रखने के बाद इसे वर्ष 2009 में उपायुक्त मंडी ने मुफ्त में महिंद्रा जायलो वाहन पर अलाट करवाया। इतना ही नहीं मंडी के उपायुक्त के नाम पर (HP 33-0001), (HP 30-0001), (HP 32-0001) सहित अन्य वीआईपी नंबर अलॉट हुए है।
सरकारी वाहनों के लिए रिजर्व है 0001 नम्बर 2015 में लगी रोक जनता की मांग पर 2018 में 2-10 नम्बर पब्लिक के लिए जारी करने की अधिसूचना जारी हुई। लेकिन पुन 1 नम्बर सरकारी वाहन के लिए आरक्षित कर लिया गया। सरकारी वाहनों के लिए 1 लाख कीमत में आरक्षित है।
मौजूदा नई पॉलिसी के तहत 2 से 10 नम्बर के लिए 75 हजार रिजर्व प्राइस है। 0011 से 0100 तक के ऐच्छिक नंबर के लिए 50 हजार, जबकि 0101 से लेकर 999 तक विशिष्ट नम्बरो के लिए 15 हजार व 1000 से 9999 तक बीच के विशिष्ट नंबरों के लिए 10 हजार फीस निर्धारित है। इसके अलावा अन्य मांग अनुसार नम्बर के लिए पांच हजार फीस है।