हमीरपुर, 28 फरवरी : हर साल की भांति इस साल भी शिवरात्रि के पावन पर्व पर जिला हमीरपुर का प्रसिद्ध मंदिर गसोता महादेव सज कर तैयार हो गया है। शिवरात्रि के मौके पर प्रदेश के कई जगह से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। सुबह 4:00 बजे से भगवान शिव के दर्शन करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है।
गसोता महादेव के पवित्र स्थल का नाम पुराणों में पांडव काल से जुड़ा हुआ है। पुराणों के अनुसार पाडवों ने अज्ञातवास के दौरान गसोता महादेव मंदिर में कुछ समय व्यतीत किया था जिसके चलते आज भी गसोता महादेव मंदिर में लोगों की आस्था कूट-कूट कर भरी है। मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए लंगर की बेहतर सुविधा हर दिन होती है। यहां पर गोशाला भी हैं, जिसमें गायों के लिए लोग स्वेच्छा से घास व अन्य सामग्री दान करते हैं। गसोता महादेव मंदिर के पुजारी ने बताया कि गसोता महादेव मंदिर लोगों की प्राचीन आस्था का केंद्र हैं। गसोता महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है।
इतिहास….
गसोता महादेव मंदिर में शिवलिंग हजारों साल से स्थापित है। जनश्रुति के अनुसार एक बार एक किसान गसोता गांव में अपने खेत में हल जोत रहा था। उस दौरान हल किसी वस्तु से टकराया तो वहां जलधारा निकली। बाद में दोबारा हल टकराया तो दूध निकला। तीसरी बार जब हल टकराया तो खून निकला तो किसान की आंखों की रोशनी चली गई। बाद में किसान को इस संदर्भ में आए सपने के अनुसार वहां स्वयंभू शिवलिंग निकला तथा उसे स्थापित करने के लिए कहा गया। ग्रामीणों के सहयोग से किसान ने इसे गसोता में शिवलिंग स्थापित किया तथा अपने लिए अभयदान मांगा जो पूरा हुआ।
गदा के प्रहार से फूटा जल स्त्रोत…
जनश्रुति के मुताबिक पावंड अज्ञात वास के दौरान जगह की तलाश कर रहे थे। वहां पर भीम ने घराट चलाने की सोची। वह जब रात को ब्यास नदी के पानी को मोड़ कर कूहल से घराट की तरफ लाने लगे तो किसी के आने की आवाज का आभास हुआ। उन्होंने सोचा की सुबह हो गई है। भीम घराट का सारा सामान बारी गांव में फेंक कर चल दिए। इसके बाद पांडव गसोता गांव पहुंचे व जंगल होने के कारण वहां गाय पालने लगे। एक बार वहां सूखा पड़ा और गाय तड़पने लगी।
भीम ने भूमि पर गदा से प्रहार किया तो वहां जलस्रोत फूट पड़ा जो गसोता महादेव में सदियों से बह रहा है।किसान गसोता गांव में अपने खेत में हल जोत रहा था। उस दौरान हल किसी वस्तु से टकराया तो वहां जलधारा निकली। बाद में दोबारा हल टकराया तो दूध निकला। तीसरी बार जब हल टकराया तो खून निकला तो किसान की आंखों की रोशनी चली गई। बाद में किसान को इस संदर्भ में आए सपने के अनुसार वहां स्वयंभू शिवलिंग निकला तथा उसे स्थापित करने के लिए कहा गया। ग्रामीणों के सहयोग से किसान ने इसे गसोता में शिवलिंग स्थापित किया तथा अपने लिए अभयदान मांगा जो पूरा हुआ।