पांवटा साहिब, 21 अक्तूबर : गौरक्षा के मकसद से सचिन ओबराॅय को अनशन पर बैठे शाम 6 बजे तक 56 घंटे हो चुके थे। हालांकि अनशन स्थल पर कैबिनेट मंत्री सुखराम चैधरी सहित हिन्दू जागरण मंच से जुड़े पदाधिकारी पहुंच रहे हैं, मगर माहौल उस समय भावुकता भरा हो गया, जब 8 महीने का युवान अपने पिता सचिन ओबराॅय की गोद में बैठकर सुकून महसूस करने लगा। वो समझ नहीं पा रहा था कि पिता घर क्यों नहीं आ रहे हैं।
बता दें कि सचिन ने खाना पूरी तरह से त्यागा हुआ है। वो केवल यही चाहते हैं कि गौरक्षा के लिए वो तमाम कदम जल्द से जल्द उठाए जाएं, जिनको लेकर सरकारी तंत्र बड़े-बडे़ कसीदे पढ़ता है। बुधवार को जब कैबिनेट मंत्री सुखराम चैधरी अनशन स्थल पर पहुंचे थे तो उम्मीद इस बात की जगी थी कि जल्द ही सिरमौर में निजी व सरकारी गौशालाओं की तस्वीर बदल जाएगी। कैबिनेट मंत्री से ये उम्मीद बरकरार है। अनशन स्थल पर पांच गऊओं की मौजूदगी बरबस ही हर किसी का ध्यान खींच लेती है। तब जाकर इस बात का भी अहसास होता है कि दुनिया बेशक ही चांद पर पहुंच जाए, लेकिन शुद्ध व असल दूध तो गाय माता की ही देन होता है।
इसके अलावा भी गाय का मल व मूत्र भी अक्सर कई औषधियों का गुण समेटे होता है। खैर, सचिन का अनशन बरकरार है। एक सवाल ये भी उठा था कि अनशन स्थल पर बंधी गायों के चारे व अन्य व्यवस्था कैसी हो रही है। सचिन के मुताबिक जब वो अपनी गौशाला का निर्माण कर रहे थे तो परिवार ने पूरी मदद की थी। मां व पत्नी ने अपने गहने तक बेच दिए थे। मां के पास आखिरी कंगन बचे थे, वो उन्होंने अनशन शुरू करने से पहले उनके सुपुर्द कर दिए थे, ताकि खर्चे का इंतजाम भी हो सके।
उल्लेखनीय है कि सचिन पहले पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हुए थे। लेकिन कुछ बरस पहले गौवंश की रक्षा को लेकर जीवन में एक नया मोड़ आ गया। अहम बात ये भी है कि सचिन ओबराॅय किसी भी ऐसे संगठन से जुड़े नहीं रहे हैं, जो अक्सर गौरक्षा को लेकर सक्रिय होने की बात करता है।