सोलन, 09 अक्तूबर : पहले टेलीफोन फिर मोबाइल इसके बाद इंटरनेट का दौर,विभिन्न संचार के माध्यम होने के बावजूद भी “डाक” का तार नहीं तोड़ पाए। इंटरनेट के इस दौर में आज भी लोग डाकिए का बेसब्री से इंतजार करते है। हालांकि अब चिट्ठी दूर प्रदेश तक संचार का माध्यम नहीं है, लेकिन डाक आज भी पत्राचार का मुख्य माध्यम है।
प्रत्येक वर्ष हर माह 9 अक्तूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है। जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को डाक प्रणाली के बारे में जागरूक करना है।100 साल से भी अधिक समय तक संचार क्षेत्र में डाक व्यवस्था ने लाइफलाइन की तरह काम किया है। डाक सेवाओं ने अब स्वयं को सिर्फ दस्तावेजों के आदान-प्रदान तक ही सीमित नहीं रखा है। उन्होंने विस्तार के रूप में अब ई-कॉमर्स और ऑनलाइन शॉपिंग को भी शामिल कर लिया है।
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विश्व डाक दिवस के मौके पर सोलन में डाक विभाग द्वारा करवाई गई पत्राचार प्रतियोगिता करवाई गई , इसमें सोलन की इशिता ने प्रदेश भर में प्रथम स्थान हासिल किया। अधीक्षक डाक मंडल सोलन रत्न चंद शर्मा ने इशिता को प्रशस्ति पत्र एवं 25 हजार का चैक भेंट किया। इस दौरान इशिता ने बताया कि डाक विभाग द्वारा करवाई गई पत्राचार प्रतियोगिता में भाग लेकर उन्हें बेहद लाभ हुआ है। इससे उसकी पत्रकार की ओर रुचि बढ़ी है।
अधीक्षक डाक मंडल सोलन रत्न चंद शर्मा ने बताया कि टेलीफोन इंटरनेट आने के बाद आज भी डाक की अपनी उपयोगिता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी डाकिये का बेसब्री से इंतजार रहता है। डाकिये ने बताया कि उनका लोग बेसब्री से इंतजार करते है। वहीं आमजन ने भी डाक विभाग की उपयोगिता को बताते हुए कहा कि जो काम डाक करती है वह कार्य इंटरनेट व मोबाइल नहीं कर पाता। निश्चित तौर पर विश्व डाक दिवस पर डाक की महत्वता जानना बेहद जरूरी है।
बता दें कि साल 1969 में यूपीयू कांग्रेस ने जापान के टोक्यो में सबसे पहले विश्व डाक दिवस मनाया था। इसे भारतीय दल के एक सदस्य आनंद मोहन नरूला ने प्रस्तावित किया था। इसके बाद से प्रतिवर्ष 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जा रहा है। ताकि लोग संचार की दुनिया में डाक सेवा की अहमियत को समझ सकें।