मंडी, 06 अक्तूबर : जिला में होने जा रहे लोकसभा के उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी ने प्रतिभा सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। प्रतिभा सिंह राजपरिवार से संबंध रखती हैं और उनके समर्थक उन्हें रानी साहिबा कहकर संबोधित करते हैं। लेकिन राजा की यह रानी इस बार राजा के बिना ही चुनावी मैदान में उतरने जा रही है।
इस बार रानी के सिर पर न तो कोई छत्र होगा और न ही छाया। इससे पहले इस परिवार ने जितने भी चुनाव लड़े तो सिर पर हमेशा वीरभद्र सिंह की छत्रछाया रही। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है क्योंकि हाल ही में वीरभद्र सिंह का देहांत हो चुका है। जब वीरभद्र सिंह जीवित थे तो यह परिवार पूरे ठाठ-बाठ के साथ चुनावी मैदान में उतरता था।
वीरभद्र सिंह के समर्थक उनके परिवार के चुनाव में जी जान लगाकर काम करते थे और प्रत्याशियों को किसी प्रकार की कोई चिंता होती ही नहीं थी। सिर्फ कार्यक्रमों में जाना, लोगों का अभिवादन स्वीकार करना, लोगों की तरफ हाथ हिलाना, संबोधन देना और वीरभद्र सिंह के कामों का जिक्र करके आगे निकल जाना। इस परिवार के लिए इतना ही काफी होता था क्योंकि वोट पड़ते थे तो वीरभद्र सिंह के नाम पर। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। इस बार रानी साहिबा और उनके सुपुत्र विक्रमादित्य सिंह को खुद पसीना बहाना पड़ेगा और सारी व्यवस्थाएं भी खुद ही देखनी पड़ेंगी। चुनाव क्या होता है, वो इस परिवार को शायद इस बार के चुनाव से पता चल जाएगा।
भाजपा के साथ-साथ अपनों से भी लड़ना होगा
प्रतिभा सिंह का मुकाबला प्रत्यक्ष रूप से तो भाजपा के प्रत्याशी से ही होगा, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें अपनों से भी लड़ना पड़ेगा। दिखाने के लिए तो बहुत से लोग प्रतिभा सिंह के साथ चलेंगे, लेकिन हकीकत में कौन चलता है इसका पता प्रतिभा सिंह को प्रचार के दौरान मिलने वाली फीडबैक से चल जाएगा। अप्रत्यक्ष रूप से सुखराम परिवार प्रतिभा सिंह के लिए चुनौती बन सकता है। क्योंकि इन दोनों परिवारों में हमेशा से ही राजनीतिक आधार पर 36 का आंकड़ा रहा है।
सुखराम परिवार से यदि टिकट छिटका है तो यह परिवार शांत बैठने वाला नहीं है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि सुखराम का कांग्रेस और भाजपा चुनावों के दौरान खूब इस्तेमाल भी करती रही हैं। यही नहीं अन्य कांग्रेसी नेता भी प्रतिभा सिंह के लिए कितना काम करेंगे और कितनी काट चलाएंगे, इसका पता भी उन्हें जल्द ही चल जाएगा।