शिमला, 20 सितम्बर : सूबे में डॉक्टर्स की लापरवाही से मरीज की मौत के मामले आये दिन अलग-अलग जगहों से सामने आते हैं। राजधानी शिमला स्थित सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां डाक्टरों पर परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाया है। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर द्वारा गलत इंजेक्शन लगाने के बाद ही उनके सात महीने के बच्चे की मौत हो गई, वहीं अस्पताल प्रबंधन ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें नहीं पता बच्चे की मौत कैसे हुई तथा जांच के बाद ही यह साफ होगा।
बता दें कि रोहड़ू के देविधार गांव की रहने वाली परीक्षा अपने सात महीने के बच्चे को इलाज के लिए तीन दिन पहले आईजीएमसी लाई थी। बच्चे को केवल खांसी थी और डाक्टरों द्वारा उसे चिल्ड्रन वार्ड में दाखिल कर लिया गया। बच्चा बैड नंबर 38 पर भर्ती था और उसी बैड पर 14 साल का बच्चा भी भर्ती था। बच्चे की मां के मुताबिक जो इंजेक्शन 14 साल के बच्चे को लगना था, वही इंजेक्शन उनके सात माह के बच्चे को लगा दिया गया।
बच्चे की मां का आरोप है कि इंजेक्शन के बाद बच्चे के शरीर में लाल निशान पड़ गए थे और कुछ देर बाद बच्चे की मौत हो गई। बच्चे की मौत होने के बाद आईजीएमसी में बच्चे की मां परिक्षा के आंसू थमते नजर नहीं आए। रोती बिलखती मां का कहना था कि उनके साथ डॉक्टरों ने गलत किया है। उन्होंने सरकार से लापरवाही बरतने वाले डाक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।
उधर, इस मुद्दे पर आईजीएमसी के एम.एस. डॉक्टर जनक राज ने बताया कि मामले की जांच की जाएगी। जांच में जो भी सामने आएगा उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि शव का पोस्टमार्टम करने के बाद ही मौत के कारणों का पता चल पाएगा।