नाहन, 26 अगस्त : हाल ही में सोशल मीडिया में एक तस्वीर जमकर वायरल हुई। इसमें दावा किया जा रहा था कि एक शख्स पीठ पर लंबे-लंबे आलू लकड़ी के गठड़ की तरह बांध कर ढो रहा है। यूजर्स इस पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं जाहिर कर रहे थे। इसके बाद एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने वायरल तस्वीर का फैक्ट चैक करने का फैसला लिया। टीम उस व्यक्ति तक पहुंच गई, जिसकी ये तस्वीर थी।
खुलासा हुआ कि हिमाचल के सिरमौर में संगड़ाह उपमंडल के सताहन गांव के रहने वाले जीत सिंह की ये तस्वीर है। यह फोटो 2018 की है। जो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही थी। वो वास्तव में खेतों से पीठ पर लकड़ी के गठठे की तरह ढांखरी आलू को ढो रहे हैं।
जीत सिंह के बेटे के साथ हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि इस बार भी उनकी 7 क्विंटल की पैदावार हुई थी। पूरे खेतों से आलू को नहीं खोदा गया है। घर बैठकर ही जीत सिंह को 30 से 35 रुपए प्रतिकिलो कीमत मिल रही है। हालांकि कई किसान अपने उपयोग के लिए ढांखरी आलू को लगाते हैं, लेकिन इस तरह के ढांखरी आलू बेहद ही मुश्किल से पैदा होते हैं। इन आलुओं की खासियत पौष्टिकता तो है ही, साथ ही कई औषधीय गुण भी मौजूद होते हैं।
दावा ये भी किया गया कि बमुश्किल चंद लोगों खासकर पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों को ही इन आलुओं की पौष्टिकता नसीब होती है। दरअसल, सोशल मीडिया में जीत सिंह की तस्वीर को उनके बेटे कपिल ने पोस्ट किया था। ये फोेटो राज्य की सीमाओं से बाहर निकल कर भी खूब सराही गई, मगर यूजर्स को इससे जुड़ी जानकारी हासिल नहीं हो रही है। बता दें कि ढांखरी आलू की पैदावार ठंडे इलाकों में ही संभव है। वैसे तो सिरमौर का उपरी इलाका आलू व मटर की खेती के लिए अपनी अलग पहचान रखता है। इसके अलावा हरिपुरधार इलाके के लहसुन की छाप दक्षिण भारत में भी हैै।
Watch video : https://youtu.be/eWQyGOGaznc
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने जब जीत सिंह से बात की तो उस समय वो जंगल में बकरियां चराने गए हुए थे। उन्होंने कहा कि ये फोटो बेटे ने डाली थी। उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में निजी बस के परिचालक व जीत सिंह के बेटे कपिल ने कहा कि वैसे तो हर साल ढांखरी आलू लगाते हैं, लेकिन इस बार महसूस हुआ कि पिता जी इन्हें अलग अंदाज में ढो रहे हैं। बस यहीं से एक तस्वीर क्लिक कर फेसबुक पर डाल दी थी।
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कपिल ने बताया कि इस साल लगभग 7 क्विंटल ढांखरी आलू की पैदावार की उम्मीद है। उनका कहना था कि सामान्य आलू की कीमत की तुलना में 3 से 4 गुणा अधिक रेट मिल जाते हैं। चूंकि दाम अधिक होते हैं, लिहाजा आम दुकानों पर इसकी बिक्री नहीं होती। उन्होंने कहा कि कई किसान इसे बीज के लिए भी खरीदते हैं।
ढांखरी आलू के साथ जीत सिंह