मंडी, 15 फरवरी : एससी/एसटी एट्रोसिटी एक्ट 1989 का हिमाचल प्रदेश सहित देश भर में कितनी संजीदगी से पालन किया जा रहा है। इस बात को उजागर करने वाली ’क्वेस्ट फॉर जस्टिस’ किताब का आज हिमाचल प्रदेश में भी लोकार्पण हो गया। मंडी में पर्वतीय महिला अधिकार मंच की संयोजिका विमला प्रेमी और अन्य एक्टिविस्टों ने आज इसका लोकार्पण किया। इस किताब के माध्यम से राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान एवं राष्ट्रीय दलित न्याय आंदोलन संस्था के प्रयासों प्रकाशित किया गया है जिसमें दलितों के साथ हो रहे अत्याचारों की विस्तृत रिपोर्ट बनाकर पेश किया गया है। 175 पन्नों की इस किताब में वर्ष 2009 से 2018 के बीच देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक्ट के प्रति अपनाई जा रही सुस्ती का खुलासा किया गया है।
हिमाचल के संदर्भ में बात करें तो इस किताब के माध्यम यह बताने का प्रयास किया गया है कि यहां एससी/एसटी एट्रोसिटी एक्ट सिर्फ सरकारी कार्यालयों में बैठकों तक ही सिमट कर रह गया है। यह बैठकें भी विभागाधिकारी अपनी सुविधा के अनुसार आयोजित करते हैं और इनमें भी कमी दर्ज की जा रही है। यहां इस कानून की इम्प्लीमेंटेशन, एडवोकेसी और जस्टिस को काफी निम्न दर्जे का दर्शाया गया है।
एक्ट के तहत करोड़ों का बजट आने के बाद भी यहां पीडि़तों को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है। पर्वतीय महिला अधिकार मंच की संयोजिका विमला प्रेमी ने किताब के लोकार्पण को लेकर आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार और जिला प्रशासनों को इस एक्ट के प्रति संजीदगी दिखानी होगी। उन्होंने बताया कि जो सरकारी कार्यायल, अधिकारी या व्यक्ति इस कानून के दायरे में आता है उन्हें यह किताबें बांटी जाएंगी ताकि वहां पर इस कानून का सही ढंग से पालन हो सके।
इस मौके पर राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान एवं राष्ट्रीय दलित न्याय आंदोलन के राज्य सचिव राज कुमार, एडवोकेट नरेंद्र, दीपक आजाद, संजय, विकास कालरा, राजकुमार राज प्रीत, परछाई, नानकी देवी, बालक राम, रजिंदर कुमार, संत राम सेन और राजेश कुमार भी मौजूद रहे।