चंडीगढ़, 6 मई : पंजाब में कांग्रेस ने टिकट आबंटन में कई गल्तियां की हैं। कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में पंजाब से अच्छे परिणाम मिलने की उम्मीद सभी राजनीतिक पर्यवेक्षक जता रहे थे। मगर जिस तरह से पार्टी ने दिग्गज उतार कर उनके हलके बदले, उसके बाद कांग्रेस के लिए परिस्थितियां विकट हो गई हैं।
संगरूर में कांग्रेस ने सुखपाल खैरा को टिकट थमा दिया। जबकि वह कपूरथला जिला के भुल्लथ के रहने वाले हैं। इस कारण यहां से धूरी के युवा कांग्रेसी नेता व पूर्व विधायक दलबीर सिंह गोल्डी कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी में चले गए हैं। यहीं के एमपी रहे विजय इंद्र सिंगला को पार्टी ने आनंदपुर साहिब सीट पर चुनाव लड़ने के लिए भेज दिया। यहां से राणा गुरजीत सिंह सोढ़ी टिकट के दावेदार थे। यह सीट पंथक मानी जाती है। इसलिए यहां सिंगला की दाल गलनी मुश्किल लग रही है। यहां कांग्रेस हमेशा से जीतती आ रही है।
वहीं, सबसे हाॅट माने जाने वाली लुधियाना सीट पर कांग्रेस के दो बार एमपी रहे पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू भाजपा में चले गए। कांग्रेस छोड़ने के उन्होंने कई कारण गिनाए। पार्टी ने यहां से पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष व युवा पूर्व मंत्री अमरेंद्र सिंह राजा बडिंग को पार्टी टिकट दे दिया। हालांकि, बडिंग काफी जुझारू नेता माने जाते हैं, मगर वह गिदड़बाहा से वर्तमान में विधायक हैं। उनका लोकसभा क्षेत्र बठिंडा पड़ता है।
पिछले चुनाव में वह यहां की अकाली दल प्रत्याशी व सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर से मामूली 20 हजार के अंतर से हारे थे। इस बार अगर पार्टी उन्हें लुधियाना की जगह बठिंडा से उतारती तो यह सीट कांग्रेस की झोली में आ सकती थी। मगर ऐसा नहीं हुआ। यहां पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु टिकट की दौड़ में थे। उनका लुधियाना शहर में हिन्दू वोटरों पर काफी असर माना जाता है। मगर, पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। वहीं, वाघा पुराना से पूर्व कांग्रेसी विधायक दर्शन सिंह बराड़ ने यहां से बडिंग के खिलाफ निर्दलीय लड़ने का ऐलान कर दिया है। यहां कांग्रेस प्रत्याशी बडिंग को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
हिमाचल की ताजा खबरों के लिए ज्वाइन करें हमारा WhatsApp चैनल
वहीं, एक और हाॅट सीट खडूर साहिब से कांग्रेस ने कुलबीर सिंह जीरा को टिकट दिया है। हालांकि, जीरा विधानसभा से आने वाले कुलबीर स्थानीय हैं। मगर ये पंजाब की सबसे पंथक वोटरों वाली सीट है। यहां शिरोमणि अकाली दल ने विरसा सिंह बल्टोहा को उतारा है। इतना ही नहीं, डिब्रूगढ़ जेल में बंद कट्टरपंथी नेता अमृतपाल सिंह ने निर्दलीय लड़ने का ऐलान कर यहां सभी दलों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यहां पहले राणा गुरजीत सिंह सोढ़ी के पुत्र कांग्रेस का टिकट चाह रहे थे, मगर पार्टी ने जीरा पर दांव लगाया, जिन्हें ज्यादा प्रभावशाली नहीं माना जा रहा है।
फिरोजपुर से पार्टी अभी तक टिकट डिसाइड नहीं कर पाई है। उधर, गुरदासपुर में पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा को कांग्रेस ने टिकट दिया है। लेकिन यहां, तृप्त राजेंद्र सिंह बाजवा अंदरूनी तौर पर कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
कुल मिलाकर पंजाब में 2019 के चुनाव में भी कांग्रेस को अच्छा बहुमत मिला था। पूरे देश में पंजाब ही ऐसा राज्य था, जहां पार्टी के सबसे ज्यादा सांसद चुनाव जीतने में सफल रहे थे। कांग्रेस ने इस बार कई ऐसे प्रयोग किए हैं, जो उसके लिए घातक साबित हो रहे हैं।
@R1