शिमला, 29 दिसंबर : पंचायतीराज प्रणाली में ग्रामीण मतदाताओं को पांच बार वोट डालना होता है। इसमें मतदाता को किसी तरह का कंफ्यूजन न हो, इसी को लेकर राज्य चुनाव आयोग द्वारा मतपत्रों के रंग तय किए जाते हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। आयोग ने ट्राइबल इलाकों के मतपत्रों के अलग रंग तय किए हैं, जबकि शेष जिलों के अलग रंग होंगे। लाहौल-स्पीति, किन्नौर व चंबा के पांगी व भरमौर में वार्ड सदस्य का मतपत्र हल्के नीले रंग का होगा। जबकि उप प्रधान का मतपत्र सफेद रंग में मिलेगा। इसके अलावा पीला, हल्का हरा व गुलाबी रंग प्रधान, बीडीसी सदस्य व जिला परिषद सदस्य के निर्वाचन का फैसला करेगा।
इसके अलावा गैर जनजातीय जिलों में वार्ड सदस्य के चुनाव के लिए सफेद रंग का मतपत्र होगा। वहीं, उप प्रधान का फैसला पीले रंग का मतपत्र करेगा। प्रधान के लिए हल्के हरे रंग का बैलेट तय हुआ है। बीडीसी व जिला परिषद के लिए गुलाबी व हल्के नीले रंग का इस्तेमाल मतपत्र के लिए किया गया है। लिहाजा, मतदाताओं को वोट डालने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना होगा कि किस रंग का मतपत्र किस पद के लिए है।
खास बात यह भी है कि इस बार सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की पालना करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने मतपत्र पर नोटा का विकल्प भी उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया हैै। मतदाताओं को यह विकल्प अंतिम कोष्ठक में मिलेगा। मतदाताओं को ये विकल्प एक मुहर के रूप में मिलेगा। लिहाजा, मतपत्र प्राप्त करने के बाद उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ‘‘उपरोक्त में से कोई भी नहीं’’ की मुहर लगी हो। यदि गलती से मतपत्र पर मुहर न लगी हो तो ऐसा मतपत्र मतदाता को जारी नहीं किया जा सकता। ऐसे मतपत्रों को रद्द मानकर एक लिफाफे में मुहर बंद करने का प्रावधान किया गया है। इस पर रद्द मतपत्र अंकित किया जाएगा।