नाहन, 29 दिसंबर : पंचायतों के चुनाव में निर्विरोध प्रतिनिधियों को चुनने में सिरमौर अग्रणी नजर आ रहा है। इसमें पंचायतों के बुद्धिजीवियों के अलावा युवा भी एक अहम भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं। इसी बीच संगड़ाह उपमंडल की गनोग पंचायत से अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले एक शिक्षित युवक के प्रधान का चुनाव लड़ने की खबर आई है। बेशक चुनाव का नतीजा कुछ भी रहे, लेकिन 29 साल के सतपाल ने जीवन में कई कठिन परिस्थितियों का सामना किया है, जो वास्तव में प्रेरणा से कम नहीं है। माइनिंग एरिया में मजदूरी करने वाले व्यक्ति का बेटा रोजाना पढ़ाई के लिए लगभग 40 किलोमीटर पैदल संगड़ाह आया-जाया करता था। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लिहाजा बीए, बीएड के बाद टैट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद उसे एक निजी कंपनी में नौकरी करनी पड़ रही है।
सटीक सवाल के जवाब में सतपाल का कहना था कि पंचायती राज प्रणाली एक जन सेवा का माध्यम भी है। जहां तक आमदनी का सवाल है तो वह खेती-बाड़ी के अलावा निजी शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना कैरियर बना सकते हैं। उनका कहना था कि रिमोट एरिया में छात्रों के लिए एक आधुनिक शिक्षा प्रणाली की अलग सिखाने का सपना है। 2012 से 2013 तक संगड़ाह महाविद्यालय में अध्यक्ष रह चुके सतपाल ने कहा कि शिक्षित को भी सामने आकर राजनीति में शामिल होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि उन्होंने कमीशन की तैयारी भी की है। अगर जनता को उनका सहयोग चाहिए होगा तो वह विकल्प के तौर पर अपने प्रधान पद को ही जारी रखेंगे। इसके लिए वह नौकरी को प्राथमिकता नहीं देंगे।
बता दें कि रामपुर उपमंडल में जिला परिषद का चुनाव लड़ रही शिक्षित युवती कविता कंटू की खबर को पढ़कर सतपाल ने अपने मन की बात को एमबीएम न्यूज नेटवर्क से सांझा करने का निर्णय लिया था। उन्होंने बताया कि गनोग से संगड़ाह तक रोजाना एक तरफ 20 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना बेहद ही चुनौती पूर्ण होता था। कई मर्तबा मौसम खराब होने की स्थिति में कक्षा को ड्रॉप करना बेहद ही मायूस करता था। बावजूद इसके ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद B.Ed की शिक्षा अर्जित की। इसके बाद टैट परीक्षा को भी उत्तीर्ण किया है। उनका कहना था कि वह चुनाव प्रचार में पैसे के खर्च के सख्त विरोधी हैं। अगर जनता ने उन्हें चुना है तो इसके लिए खर्चे की कोई आवश्यकता नहीं होती।