शिमला, 10 दिसम्बर : आईपीएच महकमे (अब जल शक्ति विभाग) में वर्ष 2003 से 2006 के बीच उपकरणों व अन्य सामग्री की खरीद में 1.94 करोड़ रूपये के फर्जीबाड़े में विजिलेंस ने शिमला की एक अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है। चार्जशीट में आईपीएच के आधा दर्जन अधिकारियों और चार निजी व्यक्तियों को शामिल किया गया है। विजिलेंस ने इस मामले में कुल तीन चार्जशीट दाखिल की हैं। आरोपी अधिकारियों में आईपीएच विभाग शिमला के तत्कालीन एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, एसिसटैंट इंजीनियर और चार जूनियर इंजीनियर (JE) शामिल हैं। विजिलेंस के एडीजी अनुराग गर्ग ने पुष्टि की है।
दरअसल अधिकारियों (Officers) की मिलीभगत से 1.94 करोड़ की सामग्री को फर्जी तरीके से खरीदा गया। आईपीएच शिमला की मैकेनिकल डिविजन के कुछ अधिकारियों ने नियमों को ताक में रखकर बिना टैंडर प्रकिया(Without Tender) के करोड़ों की खरीददारी कर डाली। आईपीएच के अधीक्षण अभियंता की जांच रिपोर्ट (Report) में वितीय अनियमितताएं (Finical Irregularities) सामने आने पर विजिलेंस ने वर्ष 2009 में धोखाधड़ी व सरकारी धन के दुरूपयोग करने पर एफआईआर दर्ज की थी।
मामले के अनुसार आईपीएच यांत्रिक(Mechanical division) विभाग शिमला के कुछ अधिकारियों ने आपसी मलीभगत से नियमों का पालन किए बिना 2003 से 2006 तक 1.94 करोड़ रुपये की सामग्री खरीद डाली। विजिलेंस जांच में सामने आया कि तत्कालीन ईओ, एई और 4 जेई के साथ 4 निजी आपूर्तिकर्ताओं ने सुनियोजित तरीके से भ्रष्टाचार (Corruption) को अंजाम दिया। अधिकारियों की मिलीभगत से बिना टैंडर बुलाए आवश्यकत सामान व उपकरणों की खरीद फोरोख्त हुई।
विजिलेंस जांच (Vigilance Probe) में चोैंकाने वाली बात यह निकलकर सामने आई है कि फर्जीबाड़े(Fraud) को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया। कुछ खरीद उन फर्मों से दिखाई गई जो कि मौजूद ही नहीं थीं। विजिलेंस ने पुराने मूल रिकॉर्ड को जुटाकर तफतीश की और संबंधित रिकार्ड को जांच के लिए एफएसएल भेजा गया। जाचं के दौरान सैकड़ों गवाहों की जांच की गई और सक्षम अधिकारियों से अभियोजन स्वीकृति ली गई।