नाहन, 5 दिसंबर : ऐतिहासिक शहर नाहन में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे के प्रतीक हाजी याकूब बेग ने 84 साल की उम्र में संसार को त्याग दिया है। शनिवार शाम उन्हें सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। शुक्रवार की रात दिवंगत बेग ने पंचकूला के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। मिलनसार व मृदुभाषी दिवंगत बेग ने शहर में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे को बढ़ावा देने में अपनी अग्रणी भूमिका निभाई।
शमशेरपुर कैंट में स्थित माता बाला सुंदरी मंदिर का निर्माण एक हिन्दू परिवार के साथ मिलकर करवाया। जिसकी प्राण-प्रतिष्ठा 27 मार्च 1994 को की गई थी। मंदिर कमेटी की कमान भी तब से संभाले हुए हैं। कमेटी के महासचिव की जिम्मेदारी दुर्गा सिंह के कंधों पर रही। हर साल 27 मार्च को मंदिर परिसर में भव्य भंडारे में भी सक्रिय रहते थे। मंदिर के रखरखाव के लिए पीपल वैलफेयर कमेटी बनाई गई थी। अंतिम सांस तक इस कमेटी के अध्यक्ष बने रहे। इसके साथ-साथ अंजुमन इस्लामिया कमेटी का भी नेतृत्व किया। बता दें कि इस मंदिर का निर्माण लगभग 40 परिवारों ने मिलकर करवाया था। इसमें 15 परिवार मुस्लिम हैं।
ऐसी धारणा है कि 1992-93 में जब शमशेरपुर कैंट में प्राथमिक पाठशाला का भवन बनना शुरू हुआ तो इसमें कोई न कोई बाधा पैदा हो जाती थी। इसी दौरान एक महिला को स्वप्न में समीपवर्ती चोटी पर माता बाला सुंदरी के मंदिर निर्माण के आदेश मिले। इसके बाद ही क्षेत्र में रह रहे हिन्दू व मुस्लिम परिवारों ने मंदिर का निर्माण करवाया। अंजुमन इस्लामिया के अध्यक्ष होने के नाते वो अपने धर्म के प्रति भी जिम्मेदारी का निर्वहन बखूबी करते रहे। उनके नेतृत्व में ये संगठन भी एक अनोखी मिसाल बना।
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अंजुमन इस्लामिया द्वारा शहर में गुरुपर्व हो या फिर जगन्नाथ यात्रा, इनकी शोभायात्राओं का पलकें बिछाकर मस्जिद के सामने ही स्वागत किया जाता रहा है। ऐसी शख्सियत के चले जाने से शहर को एक बड़ी क्षति हुई है।