कुल्लू, 27 नवंबर : वैदिक काल से चली आ रही टांकरी लिपि जो लगभग लुप्त होने के कगार पर थी। जिसके संरक्षण और संवर्द्धन के लिए स्वंय को समर्पित करने वाले विद्वान खूब राम खुशदिल आज़ इस दुनिया में नही रहें हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार, भाषा कला संस्कृति विभाग को अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर स्व. ठाकुर खूब राम ने इस लिपि का संरक्षण और संवर्द्धन करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। खूब राम खुशदिल हिमाचल में टांकरी लिपि के एकमात्र ज्ञाता उनके थे। उनके आकस्मिक निधन पर अपनी भावहीनी संवेदना व्यक्त करते हुए भुट्टिको के अध्यक्ष एंव पूर्व बाग़वानी मंत्री सत्य प्रकाश ठाकुर ने कहा कि उनके निधन से कुल्लू ज़िला ने एक प्रभुद्ध साहित्यकार, ज्योतिष के विद्धान और टांकरी भाषा के संरक्षक को खोया है। जिस से पूरा हिमालयी क्षेत्र शोकमय है।
उन्होनें ने कहा कि भुट्टिको की ओर से उन्हें उनकी दक्षता और पहाड़ी भाषा के लिए उनके समर्पण को देखते हुए वर्ष 2006-07 के लिए ठाकुर मौलूू राम जीवंत पहाड़ी भाषा एंव साहित्य राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उनके निधन पर कांगड़ा बैंक की निदेशिका व ज़िला परिषद सदस्य प्रेमलता ठाकुर, हिमबुनकर के पूर्व उपाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ठाकुर, भुट्टिको के उपाध्यक्ष रोहित ठाकुर, महेन्द्र सिंह, मुख्य महाप्रबंधक रमेश ठाकुर अतिरिक्त मुख्य महप्रबंधक विजय सिंह ठाकुर, सुखदास नैयर, इन्द्र सिंह, ओम प्रकाश, दिनेश ठाकुर, प्रेम चन्द, रूप सिंह, किशन चन्द, बहादुर सिंह, सूरती देवी, शकुन्तला देवी, कविता ठाकुर व अन्य सदस्यों ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना की है।