नाहन, 4 मई : देवभूमि की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने व कलात्मक, सांस्कृतिक व ऐतिहासिक महत्व की वस्तुओं के संरक्षण के लिए प्रदेश में संग्रहालय स्थापित किए गए हैं। खास पेशकश में हम आपको हरियाणा की सीमा पर हिमाचल के प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां बाला सुंदरी त्रिलोकपुर के प्रांगण में निर्मित संग्रहालय( Museum) से रूबरू कराएंगे। म्यूजियम में प्रदर्शित संग्रह दुर्लभ हैं, अनमोल इतिहास में रूचि रखने वालों के लिए ये स्थान बेहद खास है।
संग्रह में लकड़ी, तांबे व विशेष धातुओं से बने बर्तन, पारंपरिक वेशभूषा, खुदाई में मिली देवी-देवताओं की दुर्लभ मूर्तियां व मंदिरों के स्तंभ (Rare statues and pillars of temples) और अन्य अवशेष, आजादी की लड़ाई में भाग लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों व आंदोलनकारियों के छाया चित्र सहित अन्य कलाकृतियां आकर्षण का केंद्र बिंदु हैं। संग्रहालय को पांच हिस्सों में विभाजित किया गया है।
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चलिए, क्रमवार बताते हैं…
प्रस्तर कला विधि
संग्रहालय की प्रथम विधि (stone art methods) में विभिन्न खोजी अन्वेषणों द्वारा विशाल मात्रा में पुरातत्व विषयक अवशेष (archaeological remains) एकत्रित किए गए हैं। जिसमें सातवीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी के मंदिरों तथा राजबन (सिरमौरी ताल) स्थित प्राचीन महल के अवशेष संग्रहित किए गए हैं। सिरमौर रियासत के प्रथम शासक राजा रसालू और उनके वंशजों द्वारा राजधानियों को समय-समय पर बदला गया। जिसमें बुढ़िया (छछरौली के समीप हरियाणा में) कालसी (देहरादून के समीप) राजवन, हाटकोटी तथा देवथल प्रसिद्ध हैं। इसके अतिरिक्त भरोग बनेड़ी, पडदूनी (धौलाकुआं), साल वाला, सती वाला, मीर पुर कोटला आदि स्थानों से मिले मंदिरों के अवशेष भी यहां प्रदर्शित किए गए हैं। प्रस्तर अवशेषों के साथ-साथ इस दीर्घा में मिट्टी के बर्तन टेराकोटा (terracotta) तथा प्राचीन मध्यकाल व आधुनिक काल के दुर्लभ सिक्के भी प्रदर्शित किए गए हैं।
विज्ञान विधि
इस दीर्घा में रखे गए सिरमौर जिला के पारंपरिक लोक वाद्य यंत्र आकर्षण का केंद्र हैं। जिन्हें विभिन्न अवसरों विभिन्न सुर तालों के साथ बजाया जाता है। इस दीर्घा में राज महल द्वारा भगवान जगन्नाथ मंदिर को भेंट स्वरूप दिए गए चांदी के आभूषण, विलक्षण ऑतियों को प्रदर्शित किया गया है। यहां शिलाई क्षेत्र में पहने जाने वाले पारंपरिक परिधान तथा ठोडा लोक नृत्य परिधान संग्रहित हैं। दैनिक जीवन में उपयोगी प्राचीन सामग्री भी यहां है। लकड़ी मिट्टी व धातु के पात्र, मंदिर त्रिलोकपुर का प्राचीन गुंबद, स्थानीय पांडुलिपियां, देव पालकी इत्यादि भी इस दीर्घा में प्रदर्शित की गई है।
स्वतंत्रता सेनानी
सिरमौर जिला के स्वतंत्रता सेनानी 1857 की क्रांति से लेकर पूर्ण आजादी तक सिरमौर जिला की अहम भूमिका रही है। यद्यपि भौगोलिक दृष्टि से यह पिछड़ा हुआ क्षेत्र था, तथापि इस पहाड़ी क्षेत्र में स्वतंत्रता के तमाम आंदोलनों में विशेषकर पझौता व प्रजामंडल आंदोलनों में बढ़-चढ़कर भाग लिया। चाहे अहिंसा का मार्ग हो या असहयोग आंदोलन इस भूमि के ऋषि तुल्य स्वतंत्रता सेनानी अपने प्राणों की आहुति डालने से कभी नहीं हिचकिचाए, महान देशभक्तों के त्याग को स्मरण भी संग्रहालय में किया गया है। इसके अतिरिक्त सिरमौर रियासत के शासकों के दुर्लभ छायाचित्र एवं युद्धक हथियार, तलवार, बंदूक इत्यादि भी प्रदर्शित हैं।
समकालीन विधि
संग्रहालय की इस दीर्घा में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, चंबा, कुल्लू, लाहौल इत्यादि जिलों के पारंपरिक परिधान को प्रदर्शित किया गया है। धातु व कास्ट से बने पारंपरिक पाक-पात्र सिहंदु लोक नृत्य में प्रयुक्त किए जाने वाले काष्ठ मुखौटो, चंबा धातु कला व दोनों ओर से एक समान दिखाई देने वाले चंबा रुमाल को प्रदर्शित किया गया है। इसके अतिरिक्त इस दीर्घा में राज परिधान वा कुछ शस्त्र भी प्रदर्शित किए गए हैं जो शासन कालीन सिरमोर की झलक प्रकट करता है।
जीवाश्म विधि
जीवाश्म विधि संग्रहालय की इस दीर्घा में हिमालय की बाह्य पर्वत श्रृंखला शिवालिक में पाए जाने वाले 5 लाख से 35 लाख वर्ष पूर्व के अत्यंत दुर्लभ जीवाश्म प्रदर्शित किए गए हैं। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में खोजे गए मेरुदंड धारी जीवों के जीवाश्म एक अभूतपूर्व उपलब्धि है। शिवालिक पर्वत श्रृंखला बालू पत्थर, चिकनी मिट्टी और अन्य जलोढ़ निक्षणों से बनी है, जिसका विस्तार इंडस के नाम से ब्रह्मपुत्र तक माना जाता है। संयोग से सिरमौर जिला कि शिवालिक पर्वत श्रृंखला में यह जीवाश्म सर्वाधिक पाए जाते थे। इन जीवों में घोड़, कैटल, हाथी, जिराफ, हिप्पोपोटामस, घड़ियाल लैंड टार टॉयज आदि के जीवाश्म पाए जाते हैं।
नाहन तहसील के बर्मा पापड़ी, पालियों, गुमटी, डाकरा, खरकों सुकेती, खेती सुकेती, विक्रम बाग, खैर वाला कोलर भेड़ों तथा हरियाणा के मोरनी के समीप सेर-आदि स्थानों से इन जीवाश्म को एकत्रित किया गया है।
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