नाहन, 27 नवंबर : पुलिस कांस्टेबल अतुल शर्मा की तीमारदारी तो डॉ वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज के संयुक्त निदेशक विवेक शर्मा के प्रयासों से एक बेसहारा व लावारिस को सोलन में आश्रय मिल गया है। 23 नवंबर की रात पावंटा साहिब के एक समाजसेवी द्वारा यह कहकर बेसहारा शख्स को अस्पताल छोड़ दिया गया था कि वह 24 नवंबर की सुबह 9:00 बजे अस्पताल पहुंचकर अज्ञात व्यक्ति की देखभाल करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
23 नवंबर की रात पुलिस कांस्टेबल अतुल शर्मा ने एक बेटा बनकर लावारिस व्यक्ति की तीमारदारी की। व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक न होने की वजह से भी अटेंडेंट जरूरी था। 24 नवंबर की शाम तक कांस्टेबल मुस्तैदी से बेसहारा की इमदाद में डटा रहा। मामला उपायुक्त डॉ आरके परुथी के संज्ञान में लाया गया।
फौरन ही डॉ वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज में संयुक्त निदेशक के पद पर तैनात एचएस विवेक शर्मा ने कमान संभाली। व्यक्तिगत रुचि दिखाते हुए सोलन में सामाजिक कार्यकर्ता विजय गुप्ता लांबा से संपर्क साधा। इसके बाद पुनर्वास हेतु “आशा भवन” में भर्ती करवाने की रूपरेखा तैयार की गई। बता दें कि आशा भवन को एक गैर सरकारी सामाजिक संस्था द्वारा संचालित किया जाता है। संस्था द्वारा बेघर व बेसहारा लोगों को निशुल्क आश्रय प्रदान किया जाता है।
सामाजिक कार्यकर्ता विजय गुप्ता लांबा द्वारा संस्था के संचालकों से व्यक्ति को आश्रय प्रदान करने करवाने की स्वीकृति ली गई। 26 नवंबर को मेडिकल कॉलेज द्वारा उपचार के बाद लावारिस शख्स को आशा भवन के लिए रेडक्रॉस सोसायटी की के वाहन में सोलन भेजा गया, जहां पर उसे स्थाई आश्रय मिल गया है।
सामाजिक कार्यकर्ता विजय गुप्ता लांबा ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के संयुक्त निदेशक विवेक शर्मा व सिरमौर के उपायुक्त डॉक्टर आरके परुथी की सूझबूझ व कोशिश के कारण असहाय को आश्रय मिल गया है। बता दें कि पुलिस कांस्टेबल अतुल शर्मा के अलावा समाजसेवी राम सिंह ने असहाय को जरूरी कपड़े व अन्य सामान भी दिलवाया था। यहां यह बताना भी जरूरी है कि मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों के लिए काफी व्यवस्था उपलब्ध है, लेकिन मानसिक रोगी न होने की सूरत में में प्रशासन के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए आश्रय दिलवाना मुश्किल होता है।