सोलन, 18 नवंबर : परीक्षा में अपीयर (Appear) होने वाला हरेक परीक्षार्थी काफी हद तक यह सुनिश्चित होता है कि कितने अंक हासिल होंगे। दंग करने वाले इस मामले में हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) स्कूल शिक्षा बोर्ड ने एक बार नहीं, बल्कि दो बार चूक की। बच्ची की उत्तर पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन (Revaluation) को भी सही तरीके से नहीं किया गया। यही कारण था कि आरटीआई के तहत उत्तर पुस्तिकाओं को हासिल करना पड़ा।
सोलन के अर्की की एक मासूम व प्यारी बच्ची अंक्षाली गुप्ता भी दसवीं की परीक्षा में इस बात से बखूबी वाकिफ थी कि वो मैरिट सूची (Merit list) में स्थान बनाएगी। जून में घोषित नतीजे में अंक्षाली को 700 में से 667 अंक हासिल हुए। वो मैरिट में स्थान नहीं बना पाई। मासूम बच्ची को इसका बड़ा सदमा लगा। वो इस जिद पर अड़ी रही कि उम्मीद से कम अंक आए हैं। खैर, पिता शेखर गुप्ता ने बच्ची की जिद के आगे सामाजिक अध्ययन (Social Studies) व संस्कृत (Sanskrit) में पुनर्मूल्यांकन करवाने का फैसला लिया। दोनों विषयों में अंक्षाली के तीन-तीन अंक बढ़ गए।
यकीन मानिए, बच्ची इस पर भी संतुष्ट नहीं हुई। वो फिर इस बात पर अड़ गई कि अब भी अंक कम हैं। लिहाजा, पिता ने आरटीआई (RTI) के तहत तीन विषयों की उत्तर पुस्तिकाओं (Answer sheets) को हासिल करने का फैसला लिया, ताकि इसका स्वयं अवलोकन कर सकें। विश्वास कीजिए कि समाजिक अध्ययन व संस्कृत में इसके आधार पर भी हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड (HPBOSE) को अंक्षाली के 9 ओर अंक बढ़ाने पड़े। 682 अंक होने की वजह से अंक्षाली का मैरिट में दसवां स्थान आ गया। बदकिस्मती से पहले अंग्रेजी विषय का पुनर्मूल्यांकन आवेदन नहीं भरा गया था, लिहाजा बोर्ड (Board) ने इस विषय में चार अंक बढ़ाने से इंकार कर दिया। यदि ये अंक भी जुड़ते तो अंक्षाली का मैरिट में छठा स्थान होता।
स्कूल शिक्षा बोर्ड की कथित लापरवाही (Negligence) के इस मामले ने कई सवाल पैदा किए हैं। पहला सवाल ये है कि मेधावी छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं में इस तरह की चूक की क्यों गुंजाइश रहती है। क्या, बोर्ड इस बात को भूल जाता है कि इस तरह की चूक से बच्चे डिप्रेशन (Depression) में भी आ सकते हैं। अब क्या बोर्ड इस बच्ची को वो सम्मान दिलवा पाएगा, जो रिजल्ट (Result) घोषित होने के वक्त मेधावी स्टुडेंटस को मिलता है। इस मामले में एक ओर बात भी उभर कर आई है कि अंग्रेजी माध्यम के छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन हिन्दी माध्यम पढ़ाने वाले शिक्षकों से क्यों करवाया जाता है।
MBM News Network से बातचीत में अंक्षाली के पिता शेखर गुप्ता का कहना था कि आरटीआई से भी न्याय न मिलने की सूरत में बेटी की जिद पर वो कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का भी मन बना चुके थे। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी विषय की उत्तर पुस्तिका (Answer Sheets) के मूल्यांकन में भी त्रुटि थी। सवाल के जवाब में कहा कि अगर बोर्ड त्रुटि को संशोधित (Revised) करता तो अंग्रेजी में भी चार अंक बढ़ सकते थे। इसके आधार पर अंक्षाली मैरिट में छठे स्थान पर होती। उल्लेखनीय है कि अंक्षाली ने अर्की के लक्ष्य पब्लिक स्कूल ( Lakshy Public school) से अंग्रेजी माध्यम से दसवीं की परीक्षा दी थी।