शिमला, 04 अक्तूबर : हिमाचल के सरकारी स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सुविधाएं हाइटैक (Hightack) करने का दावा तो किया जा रहा है। शासन की तरफ से स्मार्ट युनिफ़ॉर्म (Smart uniform) से लेकर अव्वल आने वाले विद्यार्थियों को लैपटाप (Laptop) तक बांटे जाते हैं। पहली से आठवीं तक के विद्यालयों में सरकार बच्चों को मिड डे मील (mid day meal) में दूध व फल शामिल कर बच्चों को आकर्षित कर रही है। ऐसी तमाम सहूलियत के बावजूद विद्यार्थियों का पंजीकरण (Registration) तेजी से गिर रहा है। आंकड़े स्तब्ध करने वाले हैं, क्योंकि पिछले 7 सालों में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के पंजीकरण में 2.48 लाख की भारी गिरावट आई है। यानी सरकारी विद्यालयों में 24 फीसदी के करीब विद्यार्थी घट गए हैं। ये खुलासा यू-डाइस यूनिफाइड डिस्ट्रिक इंनफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (Unified District Information System for Education) की रिपोर्ट में हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2012 में सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या 10 लाख 49 हजार 816 थी। लेकिन वर्ष 2019-20 में सरकारी स्कूलों में 8 लाख 1 हजार 43 विद्यार्थी नामांकित पाए गए। इस तरह 7 वर्षों में 2 लाख 48 हजार 773 विद्यार्थी कम हो गए। प्राइमरी सरकारी स्कूलों में पंजीकरण का ग्राफ 23.78 फीसदी गिरा है। वहीं प्रदेश के सभी स्कूलों की स्थिति पर गौर करें, तो गत 7 सालों में स्कूलों में विद्यार्थियों के दाखिले के ग्राफ में 1.35 लाख की गिरावट आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2012-13 में राज्य में 14.95 लाख विद्यार्थियों ने स्कूलों में पंजीकरण करवाया था, वहीं वर्ष 2019-20 में यह संख्या 13.59 लाख हो गई। इस तरह स्कूलों में विद्यार्थियों का पंजीकरण 9 फीसदी कम हुआ है। विद्यार्थियों का ज्यादा मोहभंग (Disillusionment) सरकारी स्कूलों से हो रहा है। जबकि निजी स्कूलों में पंजीकरण का ग्राफ बढ़ा है। रोचक बात यह है कि बीते कुछ सालों से राज्य में स्कूलों की संख्या भी बढ़ी है। 2012 में राज्य में जहां कुल 17560 स्कूल थे, वहीं 2019-20 में इनकी तादाद 18184 पहुंच गई। प्रदेश में 2012 में 3940 स्कूल ऐसे थे, जिनमें 20 से कम विद्यार्थी थे। जबकि 2019-20 में ऐसे स्कूलों की संख्या बढ़कर 6366 पहुंच गई।
शिक्षा सचिव राजीव शर्मा (Education Secretary Rajiv Sharma) कहते हैं कि पिछले कुछ अरसे से निजी स्कूलों (Private schools) में पंजीकरण 30 से 40 फीसदी बढ़ा है। इसका कारण यह है कि अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला (Admission) देने को तरजीह (Preference) देते हैं, लेकिन अब निजी स्कूलों का स्टैंडर धीरे-धीरे बदल रहा है, क्योंकि प्रदेश के 3840 सरकारी स्कूलों में नर्सिंग कक्षाएं शुरू की गई हैं, जिसमें 50 हजार विद्यार्थियों ने पंजीकरण करवाया है।
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