सराहां, 31 अगस्त : स्थानीय अस्पताल को टर्शरी कोविड अस्पताल (Tertiary Covid Hospital) बनाने के खिलाफ सोमवार को जन आक्रोश (Public outrage) पनप गया। 30 पंचायतों से सैकड़ों लोग सड़क पर उतर गए और अपना रोष प्रकट करने सराहां अस्पताल पहुंचे। हुआ यूं कि पिछले रविवार को क्षेत्र में मुद्दा गर्माया हुआ था कि सराहां अस्पताल का एक हिस्सा कोविड 19 को दे दिया गया, जिसमे कोरोना के गंभीर मरीजों को रखा जाएगा। अस्पताल में पूरे हिमाचल से कोरोना लक्षण वाले मरीजों को शिफ्ट किया जायेगा। साथ ही ओपीडी (OPD) भी बंद कर दी जाएगी।
बीएमओ (BMO) ने प्रदर्शन करने वालो को अवगत करवाया कि इस मामले में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। एक तरफ अस्पताल प्रशासन जानकारी नहीं होने की बात कर रहा है और दूसरी तरफ अस्पताल में ऑक्सीजन पाइप लाइन का कार्य जोरों पर चल रहा है। प्रदर्शन कर रहे लोगों में हिमेन्द्र आनंद, योगेश रात्रा, जसविंदर सिंह , रमन कुमार, सराहां पंचायत प्रधान नरेंद्र कुमार, विनीत अग्रवाल, विभोर गोयल, रमित अग्रवाल, व्यापार मंडल प्रधान सुशील गर्ग, उपप्रधान कुणाल गर्ग आदि ने कहा कि दशकों बाद सराहां अस्पताल के हालात सुधरे। पुराने व छोटे से जर्जर भवन की जगह एक बड़ा भवन मिला, जिसे अब कोविड- 19 को दे दिया गया है। नतीजन मरीज आज पुराने भवन मैं इलाज को मजबूर हैं, जहाँ मरीजों को एडमिट होने पर बिस्तर तक नसीब नहीं होता है।
लोगों का कहना है कि सराहां अस्पताल पच्छाद (Pacchad) की 30 पंचायतों के लिए एक ही अस्पताल है। यहां सैकड़ों की ओपीडी है। लोगों का कहना है कि अगर फैसले को वापस नहीं लिया जाता है तो आंदोलन का रास्ता अपनाने से पीछे नहीं हटेंगे ओर चक्का जाम किया जाएगा। प्रदर्शनकारियो ने इस बाबत प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री को ज्ञापन भेजा है। उधर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. केके पराशर ने कहा कि विरोध को लेकर जानकारी नहीं है। सीएमओ ने यह भी कहा कि अस्पताल को लेकर कोई अधिसूचना जारी नहीं हुई है।
क्या होता है कोविड-तृतीयक अस्पताल…
दरअसल कोविड के ऐसे मरीजों को प्रथम चरण में केयर सैंटर में भेजा जाता है, जिनमें लक्षण नहीं होते। रोगी में कुछ अस्थिरता मिलने पर उसे कोविड अस्पताल में भेजा जाता है। यदि दूसरे चरण में हालत नाजुक हो जाती है तो उसे तृतीयक अस्पताल में शिफ्ट किया जाता है, जिसमें एडवांस केयर की सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। 26 अगस्त के बाद से सिरमौर में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ऑनलाइन एक मौत भी हुई है, जबकि ऑफ रिकार्ड दो मौतें दर्ज हो चुकी हैं। ऑफ रिकॉर्ड वो मौते हैं, जिन्हें हिमाचल का स्वास्थ्य विभाग अपने रिकॉर्ड में दर्ज नहीं करता है। दर्ज इसलिए नहीं करता है, क्योंकि ऐसे मरीजों का निधन राज्य से बाहर हुआ हो या फिर उनकी कोरोना संक्रमण की रिपोर्ट भी दूसरे राज्यों में आई हो।
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