सुंदरनगर/करसोग: विश्व भर में फैली कोरोना महामारी के चलते करसोग उपमंडल में मटर उत्पादकों की परेशानियां बढ़ चुकी है, क्योंकि खेतों में तैयार मटर की फसल लॉकडाउन के चलते मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही है। जिससे किसान तबाह होते हुए नजर आ रहे हैं। मटर की फसल करसोग के किसानों की प्रमुख नगदी फसल है। एक तरफ़ लॉकडाउन तो दूसरी तरफ मौसम का मिजाज किसानों की आर्थिक स्थिति बिगाड़ चूका है।
लॉकडाउन के चलते मटर उत्पादकों को मजदूर व वाहन चालक नहीं मिल रहे हैं क्योकि कर्फ्यू के चलते गाड़ियों की आवाजाही बिल्कुल बंद है। यहां के लोगों के पास आय का और कोई साधन नहीं है। किसान खेतों में बिजाई कर ही अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। आपको बता दें कि कुछ समय से मौसम के मिजाज में परिवर्तन आने के कारण पहले ही 30 से 35 प्रतिशत मटर की फसल तबाह हो चुकी है। अब जो फसल बची थी उस पर भी लॉकडाउन की वजह से गहरा संकट छा गया है।
यही नहीं 80% किसानों में भी कई ऐसे किसान हैं जिनके पास काफी कम खेत हैं तथा मटर खेती से होने वाले उत्पादन से ही अपने पूरे साल की जरूरत पूरी करते हैं। इस बार मटर की फसल काफी अच्छी थी जिससे मटर उत्पादकों को काफी उम्मीद थी। लेकिन फरवरी और मार्च में हुई बारिश व तूफान से इस समय मटर की फसल पूरी तरह बर्बादी की ओर नजर आ रही हैं।
आपको बता दें कि मटर उत्पादकों को गाड़ियां ना मिलने के कारण लगातार नुकसान हो रहा है। कई दूरदराज के किसान इन वाहन चालको के आने का इंतजार कर रहे हैं। गांव में मजदूर ढूंढने से भी नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में स्थिति बिगड़ती जा रही है। अगर फसल समय से नहीं बिकी तो किसान व मटर उत्पादक बर्बाद हो जायेंगे।