मंडी : कुछ लोगों की विशेष प्रकार की आदत उनकी पहचान बन जाती है। कुछ अपनी हंसी से लोगों को दीवाना बना देते हैं तो कुछ लोग अपने क्रोध के लिए जाने जाते हैं। कुछ दिलेरी के लिए तो कुछ कंजूसी के लिए। लेकिन इन सबसे हटकर प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हैं, जो अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं।
27 दिसंबर 2017 को जयराम ठाकुर के रूप में प्रदेश को नया मुखिया मिला। जयराम ठाकुर के सीएम बनते ही प्रदेश में राजनीति के नए अध्याय का आगाज हुआ। दिग्गजों के बीच चली आ रही पारिवारिक जंग का खात्मा हुआ और जयराम ठाकुर राजनीति का नया सितारा बनकर उभरे। दो वर्षों के कार्यकाल में जयराम ठाकुर ने अपनी एक अलग पहचान बनाई। न तो वह किसी के नक्शे कदम पर चले और न ही उन्होंने ऐसा करने का प्रयास किया।
सरलता और सादगी से हर काम को अंजाम दिया। विरोधियों ने अगर उन पर तंज भी कसा तो उस तंज का जवाब भी जयराम ठाकुर ने सादगी से ही दिया। अमूमन शांत रहने वाले जयराम ठाकुर का क्रोध से दूर- दूर तक कोई नाता नहीं। मुख्यमंत्री बनने के बाद ऐसा कोई वाक्या सामने नहीं आया जहां उन्होंने किसी अधिकारी या कर्मचारी को डांट-फटकार लगाई हो। खुले मंच से जयराम ठाकुर कई बार इस बात को कह चुके हैं कि शांत स्वभाव से काम करना उन्हें अच्छा लगता है। दो वर्षों के कार्यकाल की बात करें तो इसमें दो बार प्रधानमंत्री का प्रदेश के दौरे पर आना और सरकार को अपना आशीवार्द देना किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं। दो वर्षों के छोटे से कार्यकाल में जयराम ठाकुर ने समाज के हर वर्ग को राहत पहुंचाने का प्रयास किया है।
इंवेस्टर मीट जैसा बड़ा आयोजन करके जयराम ठाकुर ने यह साबित कर दिया कि उनकी सोच प्रदेश को शिखर पर ले जाने की है। देश-विदेश से इंवेस्टर यहां बुलाकर जो निवेश प्रस्तावित हुआ है। यदि वह धरातल पर उतरता है तो फिर प्रदेश के विकास को नए पंख लगना स्वभाविक है। साथ ही एक इतिहास भी बन जाएगा। लोकसभा चुनावों और उसके बाद दो सीटों पर हुए उपचुनावों ने जयराम ठाकुर का कद राजनीति में काफी ऊंचा कर दिया है।
प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि भाजपा को इतनी प्रचंड जीत मिली। हालांकि इसका अधिक श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। लेकिन प्रदेश में जो व्यक्ति सरकार का नेतृत्व कर रहा हो उसके सिर भी इस अप्रत्याशित जीत का ताज सजना बनता है। वहीं उपचुनावों को जयराम ठाकुर ने अपने बूते पर लड़ा और जीत कर यह साबित कर दिया कि अब यहां उनका ही सिक्का चलता है।
जयराम ठाकुर प्रदेश की राजनीति में नया अध्याय बनकर सामने आए हैं। अभी सरकार का तीन वर्षों का कार्यकाल शेष बचा है और इन तीन वर्षों में प्रदेश की जनता को सरकार से ढेरों उम्मीदें भी हैं। चार वर्षों का कार्यकाल बीतने के बाद जब सरकार जनता के बीच फिर से जनादेश मांगने जाएगी तो उस वक्त जयराम ठाकुर की असली अग्निपरीक्षा होगी और इस परीक्षा के लिए सरकार में रहते हर वर्ग को लुभाने की चुनौती है।
निजी जीवन से जुड़े अहम पहलू
सराज विधानसभा क्षेत्र को प्रकृति ने सुंदरता का अपार भंडार बख्शा है। प्राकृतिक सुंदरता के कारण चर्चा में रहने वाला सराज विधानसभा क्षेत्र आज किसी पहचान का मोहताज नहीं रहा है, क्योंकि इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाला शख्स आज प्रदेश की बागडोर संभाल रहा है। इसी विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत मुराहग के तांदी गांव में है। प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर का घर 6 जनवरी 1965 को जेठू राम और बृक्कु देवी के घर जन्में जयराम ठाकुर का बचपन गरीबी में कटा। परिवार में 3 भाई और 2 बहने थी। पिता खेतीबाड़ी और मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते थे।
जय राम ठाकुर तीन भाईयों में सबसे छोटे हैं, इसलिए उनकी पढ़ाई-लिखाई में परिवार वालों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। जयराम ठाकुर ने कुराणी स्कूल से प्राइमरी करने के बाद बगस्याड़ स्कूल से उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद वह मंडी आए और यहां से बीए करने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई पूरी की।जब जय राम ठाकुर वल्लभ कॉलेज मंडी से बीए की पढ़ाई कर रहे थे तो उन्होंने एबीवीपी के माध्यम से छात्र राजनीति में प्रवेश किया। यहीं से शुरूआत हुई जयराम ठाकुर के राजनीतिक जीवन की। ठाकुर ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।
एबीवीपी के साथ-साथ संघ के साथ भी जुड़े और कार्य करते रहे। वर्ष 1995 में जय राम ठाकुर ने जयपुर की डॉ. साधना सिंह के साथ शादी की। जयराम ठाकुर की दो बेटियां हैं और दोनों टांडा मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर की पढ़ाई कर रही हैं।