नाहन : यदि मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो और लक्ष्य प्राप्ति की तीव्र इच्छा हो तो लक्ष्य भेदना कोई बड़ी बात नहीं है। लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाते हुए दिव्यांग जसबीर सिंह ने उन जैसे दर्जनों युवाओं में आशा की किरण जगाई है जो अपने जीवन से निराश हो चुके हैं। आंखों की रोशनी न होने के बावजूद जसबीर सिंह निवासी कोलर ने जेआरएफ की परीक्षा उतीर्ण की है। जसबीर ने एमबीएम को बताया कि उनका सपना प्रोफेसर बनने का है और इसके लिए वह दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि पहले ही अटेंप्ट में जेआरएफ की परीक्षा उतीर्ण हुई है।
उन्होंने बताया कि हालांकि उक्त परीक्षा तक पंहुचने के लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया है। बचपन में सब कुछ ठीक था, लेकिन उम्र बढऩे के साथ उनके आंखों की रोशनी कम होती चली गई और कॉलेज तक आते-आते आंखों से दिखाई देना बंद हो गया। जिसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई कंप्यूटर पर टॉकिंग सॉफ्टवेयर की मदद से पुरी की और अब जेआरएफ की परीक्षा उतीर्ण कर ली है।
उन्होंने बताया कि उनका हौंसला बढ़ाने के लिए शिक्षक दिनेश सूद, प्रो. भारती शर्मा, प्रो. अजय श्रीवास्तव, उनके मामा उमेश, दादा शरवण कुमार, पिता तपेंद्र ङ्क्षसह का सहयोग हमेशा उन्हें मिला है। जब आंखों की रौशनी कम हुई तो भविष्य की चिंता सताने लगी, लेकिन आधुनिक तकनीकों व शिक्षकों के सहयोग के चलते सब आसान हो गया। जिसके बाद अब वह अपने लक्ष्य तक पंहुच सकें।