मंडी : सिराज विधानसभा क्षेत्र की उप तहसील बाली चौकी में मिड-डे मील के दौरान स्कूलों में अनुसूचित जाति के बच्चों के साथ जातीय भेदभाव के मामले में पिछले 1 सप्ताह में 9 दिसंबर को घटित घटना राजकीय प्राथमिक पाठशाला नौणा तथा 16 दिसंबर को राजकीय उच्च पाठशाला कशौड के दोनों स्कूलों के मामले सामने आने से सिराज विधानसभा क्षेत्र बदनाम हो रहा है। जिससे मुख्यमंत्री की छवि भी प्रदेश में खराब हो सकती है।
जानकारी के अनुसार नौणा स्कूल के मामले में दोषी मुख्य शिक्षिका को सस्पेंड कर दिया गया था, जिसमें अभी जांच चली हुई है। पुलिस विभाग से मिली जानकारी के अनुसार की उक्त स्कूल में सभी बच्चे रोल नंबर वाइज मिड-डे मील का भोजन खा रहे हैं। इसी तरह कशौड स्कूल के 23 अभिभावकों ने पुलिस अधीक्षक मंडी को व्हाट्सएप पर एक शिकायत पत्र भेजा था। शिकायत पत्र में लिखा गया है कि 16 दिसंबर को उक्त स्कूल में सामान्य वर्ग के 5 अभिभावकों ने बच्चों को रोल नंबर वाइज खाना खाने से मना कर दिया और कहा कि उनके बच्चे बीमार हो जाते हैं। जिसके चलते सामान्य वर्ग के बच्चों ने अनुसूचित जाति के बच्चों के साथ खाना नहीं खाया है।
उपरोक्त मामले पर स्थानीय स्कूल के प्रबंधन समिति अध्यक्ष किशन चंद सहित दर्जनों अभिभावकों ने 17 और 18 दिसंबर को स्कूल में सारी घटना को देखा। जहां सामान्य वर्ग के बच्चों ने अनुसूचित जाति के बच्चों के साथ खाना नहीं खाया। हालांकि स्कूल के मामले को उन्होंने सामान्य वर्ग के अभिभावकों से विचार-विमर्श भी किया था। मगर सामान्य वर्ग के लोगों ने उन्हें उल्टा धमकाया था। जिसके चलते उन्होंने 18 दिसंबर को पुलिस अधीक्षक मंडी गुरुदेव चंद शर्मा, डीएसपी मंडी अनिल पटियाल तथा थाना प्रभारी औट ललित महंत के व्हाट्सएप पर इस बार शिकायत पत्र भेजा था, जिसमें सामान्य वर्ग के 5 अभिभावकों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के अनुसार कार्रवाई करने की मांग की गई थी। जिसके आधार पर 19 दिसंबर को डीएसपी मंडी सहित एसएचओ औट की टीम ने कशौड स्कूल में छानबीन की।
क्या कहते हैं शिकायतकर्ता अभिभावक…
शिकायतकर्ता अभिभावकों के अनुसार कि उन्हें पुलिस ने स्कूल की जांच में उन्हें शामिल नहीं किया कि पुलिस ने उनके बच्चों के बयान अकेले में लिए हैं। स्वाभाविक है कि मासूम स्कूली बच्चे पुलिस के डर के कारण सही बयान नहीं दे सकते। अभिभावकों ने बताया कि जिन सामान्य वर्ग के पांच लोगों के खिलाफ उन्होंने SC-ST अधिनियम धारा 3 के अंतर्गत कार्रवाई मांगी थी। जिस संबंध में उनसे सिर्फ मौखिक बयान लिया गया है। जबकि ऐसी मामले में ब्यान लिखित लिए जाने चाहिए थे। हालांकि इस संबंध में पुलिस के पास उनका लिखा गया। शिकायत 1 दिन पहले ही पहुंच गया था।
क्या कहते हैं एसएमसी अध्यक्ष…
इस मामले बारे हमने स्कूल प्रबंधन समिति अध्यक्ष किशन चंद से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके ध्यान में उक्त मामला 16 दिसंबर को स्थानीय स्कूल के अध्यापक जीवन द्वारा लाया गया था। उन्होंने बताया कि इस मामले को जांचने के लिए वे अन्य दर्जनों अभिभावकों के साथ 17 अर्थ 18 दिसंबर को स्कूल में गए थे। जहां उन्होंने देखा कि सामान्य वर्ग के बच्चों ने अनुसूचित जाति के बच्चों के साथ खाना नहीं खाया जिस पर उन्होंने है। पुलिस विभाग से अनुसूचित जाति अधिनियम के तहत कार्रवाई मांगी थी। मगर पुलिस ने उनका बयान लिखित तौर पर नहीं लिया है।
उक्त स्कूल में हुए जातीय भेदभाव के मामले पर मानवाधिकार संगठन सदस्य हिमाचल एवं कोली सभा जिला मंडी अध्यक्ष एलआर चौहान ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि कशौड स्कूल के पीड़ित अभिभावकों का शिकायत पत्र उनके पास भी आया हुआ है। जिस बारे उन्होंने पुलिस अधीक्षक मंडी से गंभीरता से जांच करने का आग्रह किया था। मगर कार्रवाई विपरित रही। उन्होंने बताया कि स्कूल के अभिभावकों की शिकायत के आधार पर उनके बयान का होना अति आवश्यक था। मगर पुलिस विभाग की टीम ने उनके ब्यान नहीं लिखें और मामले में एट्रोसिटी ना बनने की रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक को भेज दी। जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि पुलिस मामले को दबाना चाहती है।
उन्होंने मंडी पुलिस की ऐसी कार्रवाई पर असंतोष प्रकट करते हुए कहा है की जब तक पुलिस दोषियों को बचाने का प्रयास करेगी।तब तक समाज में इस तरह की कुरीतियां जन्म लेती रहेगी। उन्होंने यह भी बताया कि 16 दिसंबर को विभिन्न संगठनों का एक प्रतिनिधि मंडल उनके माध्यम पुलिस अधीक्षक मंडी तथा जिलाधीश मंडी से मिला था और सिराज में सरकारी स्कूलों में मिड डे मील के दौरान हो रहे जातीय भेदभाव मामले पर उचित जांच मांगी थी। हालांकि इसी दौरान जिलाधीश मंडी के माध्यम देश के प्रधानमंत्री, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को हिमाचल प्रदेश में हो रहे अनुसूचित जाति वर्ग के मासूम स्कूली बच्चों के साथ मिड डे मील के दौरान स्कूलों में जातीय भेदभाव मामले में दोषी अध्यापकों तथा मिड डे मील वर्करों सहित ऐसे अभिभावकों पर उचित कार्यवाही मांगी थी जो अपने बच्चों को स्कूल में रोल नंबर वाइज मिड डे मील खाने से मना करते हैं। मगर अभी तक जिला प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कार्यवाही अमल में नहीं लाई जा रही है।
क्या कहते हैं डीएसपी …
इस मामले पर जानकारी देते हुए डीएसपी मंडी अनिल पटियाल ने बताया कि मामले में एट्रोसिटी नहीं पाई जा रही है हालांकि जांच अभी जारी रहेगी। उनके अनुसार अभी उन्होंने उपरोक्त मामले पर इंक्वायरी की है। क्योंकि मामले में डायरी यानी रपट ना होने के कारण इन्वेस्टिगेशन करना उचित नहीं होता। मगर यह भी सवाल उठता है कि पुलिस अधीक्षक को व्हाट्सएप पर भेजी गई शिकायत पर थाने में डायरी यार रपट नहीं हो सकती?
क्या कहते हैं जिलाधीश …
उक्त मामले बारे जानकारी हासिल करने के लिए हमने जिलाधीश मंडी ऋग्वेद ठाकुर से टेलीफोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि वे थोड़ा व्यस्त चल रहे हैं मगर इस मामले को देख लेंगे।
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