शिमला, 2 मई : राजनीति में सब कुछ संभव है। ऐसा ही वाकया कांगड़ा लोकसभा चुनाव में घटित हुआ। पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा को कांग्रेस प्रत्याशी बनाया जाना अप्रत्याशित था। आशा कुमारी के अलावा कई अन्य नेताओं के नाम कांगड़ा में चुनाव लड़ने के लिए चल रहे थे। मगर ऐन वक्त पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऐसा मास्टर स्ट्रोक खेला, जिसका अंदाजा कांग्रेस के नेताओं के अलावा विपक्षी दलों ने भी नहीं लगाया था।
चूंकि, मुख्यमंत्री सुक्खू के आनंद शर्मा के साथ मधुर संबंध जगजाहिर हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ दोनों ने राजनीतिक लड़ाई लड़ी है, यह सर्वविदित है। हालांकि, कहा जाता है कि मुख्यमंत्री के अलावा डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री व पार्टी की राज्य अध्यक्ष प्रतिभा सिंह की रायशुमारी आनंद शर्मा को कांगड़ा से उम्मीदवार बनाने में ली गई है, मगर इसके पीछे असली रणनीति मुख्यमंत्री सुक्खू ने बनाई है।
सुक्खू को आनंद शर्मा ने हमेशा स्व. वीरभद्र सिंह के विकल्प के तौर पर उभारा। इसमें कोई दो राय नहीं है। अब बारी सुक्खू की है, उनको जिताने के लिए सुक्खू पूरा जोर लगा देंगे, क्योंकि आनंद शर्मा की जीत का श्रेय भी सुक्खू को मिलेगा। अगर वह हारे तो भी इसकी जिम्मेदारी सुक्खू की होगी। कांगड़ा में दो कैबिनेट मंत्रियों चंद्र कुमार व यादविंद्र गोमा के अलावा आशीष बुटेल, भवानी पठानिया, रघुबीर बाली व केवल सिंह पठानिया को सरकार में ओहदे मिले हैं। चंद्र कुमार को छोड़ दें तो ये सभी एनएसयूआई के रास्ते विधानसभा पहुंचे हैं। ये सभी योद्धा मिलकर भाजपा उम्मीदवार का सामना करने में एड़ी-चोटी का जोर लगा देंगे, इसमें कोई शक नहीं। इन्हें चुनाव लड़ने का अनुभव है।
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वहीं, कांगड़ा सीट पर 2009 से लेकर अब तक भाजपा लगातार तीन बार इस सीट को अपने कब्जे में रखे हुए है। उनके उम्मीदवार डॉ. राजीव भारद्वाज भी पहली दफा चुनावी मैदान में उतरे हैं। इसलिए कांग्रेस पिछली हारों से सबक लेते हुए इस बार हर हाल में कांगड़ा का किला फतेह करने के लिए पुरजोर कोशिश करेगी, क्योंकि शिमला का रास्ता कांगड़ा से ही निकलता है। आनंद शर्मा की उम्मीदवारी के बाद देश भर की नजरें कांगड़ा सीट पर लग गई हैं।
राजपूत व ओबीसी बाहुल्य इस सीट पर दोनों दलों ने ब्राह्मणों को टिकट देकर क्षेत्रवाद व जातिवाद की राजनीति को ज्यादा महत्व नहीं दिया है। आनंद शर्मा कांग्रेस के एक सेलिब्रिटी नेता हैं। देखना है कि जनता उन्हें स्वीकार करती है या नहीं? हालांकि, शिमला का रीजनल पासपोर्ट ऑफिस, कांगड़ा डी बोर्ड व मंडी आईआईटी जैसे संस्थान लाने में आनंद शर्मा की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता।
कांगड़ा के लोग काफी पढ़े-लिखे व तेजतर्रार हैं। चंबा जिला भी इसी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। समय भी काफी कम बचा है, क्योंकि भाजपा उम्मीदवार प्रचार में काफी आगे निकल चुके हैं। मुख्यमंत्री को अन्य सीटों पर भी समय देना है। इसलिए इस चुनौती से भी आनंद शर्मा को पार पाना होगा।
@R1