शिमला : हिमाचल प्रदेश में कैदियों को कैदी न समझ कर उन्हें हुनरमंद बनाने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि सजायाफ्ता कैदी भी रोजगार से जुड़ सकें। कारागार विभाग कैदियों को हुनरमंद बनाने के लिए अपने स्तर पर कोशिश कर रही है। प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों को पैट्रोल पंप पर रोजगार देने के प्रस्ताव पर विचार चल रहा है। प्रस्ताव के तहत कैदियों को रोजगार देने के लिए जेल के आसपास अपनी जमीन पर पैट्रोल पंप खोले जाएंगे, जिसे जेलों में बंद कैदी ही चलाएंगे। पहले चरण में इसकी शुरूआत धर्मशाला से करने पर मंथन चल रहा है।
जेल विभाग की यह योजना सिरे चढ़ी तो फिर अन्य जिला में भी इसी तरह इसकी शुरूआत की जाएगी। कारागार विभाग की तरफ से इस नई पहल को शुरू करने के लिए राज्य सरकार के जरिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। केंद्र सरकार के पैट्रोलियम मंत्रालय से अगर इस योजना को मंजूरी मिल गई तो हिमाचल देश का ऐसा तीसरा राज्य बन जाएगा जहां पर कैदियों को रोजगार देने के लिए जेल विभाग ने ऐसी संजीदगी दिखाई हो, बल्कि यह देश के अन्य राज्य के लिए भी मिसाल बन जाएगी। इस समय तेलंगाना और महाराष्ट्र में कैदी पैट्रोल पंपों पर काम करते हैं।
हिमाचल देश में ऐसा पहला राज्य है जहां कैदियों को रोजगार देने के लिए जेलों से बाहर भेजकर दो शिफ्ट्स में काम दिया जा रहा है। जेल महकमो की हर हाथ को काम देने की पहल से जेलो में बंद कैदी फैक्टरियो और बे्रकरी सहित अन्य तरह तरह के उत्पाद बनाकर कारेबार कर रहे है। कैदियो को तनाव से बाहर निकालने के लिए उन्हें काम देने के लिए राज्य में कैदियों के हर हाथ को काम देने पर कार्य किया जा रहा है। कैदियों को स्वावलंबी बनाने के लिए जेलों में विभिन्न तरह की पहल की गई है। जेलों में मोबाइल कैंटीन, गऊशाला, एग्रीकल्चर सहित अन्य रोजगार की पहल की गई है, जिसमें कैदियों को रोजगार करने का अवसर प्रदान किया जा रहा है।
कैदी सुधार के कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जिनके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। सुधरने की इच्छा रखने वाले कैदियों को न केवल सामाजिक बल्कि भावनात्मक, आध्यात्मिक और आर्थिक रूप से भी सक्षम बनाया जा रहा है। प्रदेश की जेलों में सजा काट रहे कैदियों में पढ़ाई के प्रति रुझान बढ़ते दिख रहा है। जेल व इग्नू के संयुक्त प्रयासों के चलते जहां कई सजायाफ्ता कैदियों ने उच्च डिग्री हासिल कर ली है। जेलों में कैद अन्य कैदी भी उच्च शिक्षा के लिए आवेदन कर रहे हैं।
प्रदेश में मौजूदा समय में 14 जेलें हैं। इन जेलों में 2000 के अधिक कैदियों को रखने की क्षमता है। इनमें 2 मॉडल सेंट्रल जेल, दो जिला जेल, एक ओपन एयर जेल और 8 सब-जेल शामिल हैं। इन जेलों में 872 सजायाफ्ता और 717 विचाराधीन कैदी बंद हैं। इनमें 58 महिला कैदी भी शामिल हैं। हमीरपुर में प्रदेश की सबसे बड़ी उप जेल है। आदर्श कंडा जेल में 358 कैदियों के रखने की क्षमता है, जबकि चिल्ड्रन जेल में 20 कैदियों को रखने की, ऊना जेल में 14 कैदियों को रखने की और हमीरपुर उप जेल में 11 पुरुषों के साथ एक महिला कैदी को रखने की व्यवस्था है। हमीरपुर में एक महिला कैदी तो एक अकादमी में भी नौकरी कर ही है। शिमला की जेल में बंद एक आईटीआई छात्र एक केंचिंग सैंटर में कोचिंग भी दे रहा है।इसके अलावा नाहन में करीब 25 कैदी विभिन्न ओधोगिक क्षेत्रो में नौकरी कर रहै है।