अमरप्रीत सिंह/सोलन
परवाणु से सोलन फोरलेन प्रभावितो को एनएचएआई से मुआवजा मिलने के बावजूद कई लोग टूटे हुए खंडहरो का कब्ज़ा छोड़ने को तैयार नहीं हैं। प्रभावितो ने टूटे हुए मकान के बचे हुए हिस्से में मुरम्मत करके रिहाइश बना दी है, जिससे उन्हें जान का खतरा भी बना हुआ है। ऐसा नहीं की एनएचएआई द्वारा इनको नोटिस जारी नहीं किया गया है। बावजूद इसके भवन मालिक बिना किसी डर के इन भवनों को मुरम्मत करवाकर इन्हीं में रह रहे हैं। इससे सरकार को लाखों-करोडो का चूना लग रहा है।
वहीं इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता की कहीं न कहीं इन भवन मालिकों को सरकार, जिला प्रशासन एवं एनएचआई द्वारा लाभ पहुँचाने की कोशिश की जा रही है। नियम के तहत मुआवजा मिलने पर अधिग्रहण किए गए जमीन एवं भवन का कब्ज़ा छोड़ना पड़ता है। अब एनएचएआई द्वारा नोटिस जारी होने के बाद इन अवैध रूप से रह रहे लोगों पर कार्रवाई होना निश्चित है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी है, जिनकी बिना मुआवजे के जमीन फोरलेन की चपेट में आ गई।
फोरलेन से कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें जमीन एवं भवन का पूरा पैसा तो मिल चुका है और एनएचआई द्वारा इन भवनों पर लाल रंग से निशान लगाए गए थे। कुछ लोगों ने निशान को मिटा दिया तो कुछ ने उस पर लाल रंग से पेंट कर दिया। जिससे साफ दिखाई दे रहा है कि लोगों मुआवजा लेने के बाद भी मकान खाली करने को तैयार नहीं हैं। आपको यह बता दे कुछ लोगों ने तो कोई भवनों को आगे किराए पर भी दे दिया है।
सूत्रों की माने तो परवाणु से सोलन तक करीब 200 मकान व दुकानें ऐसी हैं, जिनको मुआवजा तो मिल गया है, लेकिन इन लोगों ने अभी तक अपने भवन खाली नहीं किए हैं। यहां साफ़ तौर पर विभाग की लापरवाही सामने आती है, जिन्होंने इन अवैध भवनों से बिजली-पानी के कनेक्शन नहीं काटे हैं। अब देखना यह होगा की कब एनएचएआई अधिग्रहण किए गए भवन मालिकों पर कार्रवाई करेगी।