सुभाष कुमार गौतम/घुमारवीं
मुख्यमंत्री के ओएसडी महेंद्र कुमार धर्माणी एक बार फिर मसीहा बनकर लोगों की मदद के लिए आगे आए है। बताते चलें कि घुमारवीं विधान सभा क्षेत्र से संबंध रखने वाले महेंद्र कुमार धर्माणी शुरू से ही गरीब लोगों के मददगार रहे हैं। इस बात का उनके जीवन में कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह किसी पोस्ट पर हो या ना हो। वह ओएसडी बनने से पहले भी गरीब व असहाय लोगों की मदद किया करते थे। घुमारवीं की संस्कार सोसायटी इसी का एक जीता जागता उदाहरण है। जो समाज के गरीब तबके के लोगों की मदद लगातार करती आ रही है।
महेंद्र कुमार धर्माणी वो शख्सियत हैं, जिनका दिल गरीब, दुःखी व असहाय लोगों को देख कर पसीज जाता है। हाल ही में किडनी की बीमारी से पीड़ित लोगों को राहत मिली है। हमीरपुर के मौही गांव के संतोष की दोनों किडनियां खराब हो चुकी थी। उनका इलाज डीएमसी लुधियाना में चल रहा है। अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि संतोष की पत्नी का ब्लड ग्रुप उनके ब्लड से मिलता है। इसलिए अगर हिमाचल सरकार की अनुमति मिल जाती हैं तो उनकी पत्नी की किडनी उनको ट्रांसफ़र की जा सकती है। संतोष का परिवार अनुमति लेने के लिए दफ्तरों की खाक छानता रहा, मगर उन्हें अनुमति नहीं मिल पाई।
किडनी ट्रांसप्लांट से पहले मरीज को हिमाचल प्रदेश द्वारा बनाए गए एक स्वास्थ्य बोर्ड से अनुमति लेनी पड़ती हैं, जिसके चेयरमैन हिमाचल स्वास्थ्य विभाग के निदेशक होते हैं। इस अनुमति को लेने के लिए पीड़ित के परिवार को महीनों सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। मगर तब तक मरीज़ दुनिया छोड़ देता है। बिना राजनीतिक पहुंच के यह अनुमति मिलना आसान नहीं होता। उनसे यह भी लिखवा लिया जाता है कि वे मरीज़ के जिम्मेदार अब खुद होगें।
संतोष का परिवार भी दफ़्तारों के चक्कर लगाकर व अधिकारियों के हाथों की कठपुतली बनकर थक चुका था। तब उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री के ओएसडी महेंद्र धर्माणी से हुई। पीड़ित परिवार की कहानी सुनकर महेंद्र कुमार का दिल पसीज गया। जो काम परिवार महीनों दफ्तरों के चक्कर लगाकर न करवा पाया वो मात्र एक दिन में हो गया। इतना ही नहीं इसके साथ अन्य सात और लोगों को भी अनुमति मिल पाई है।
विडंबना यह है कि इस तरह की गंभीर बिमारी में भी पीड़ित के परिवार को इस तरह की अनुमति मिलना ढाक के तीन पात जैसे है। जबकि होना तो यह चाहिए कि किसी की जान बचाने के लिए किडनी पीड़ित को राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों को सरल करना चाहिए। ताकि समय रहते किसी भी पीड़ित व्यक्ति की जान बच सकें। अक्सर देखा गया है, फॉर्मेलिटी पूरा होने से पहले ही किडनी रोग से ग्रसित व्यक्ति को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।