एमबीएम न्यूज/धर्मशाला
धौलाधार की पहाडि़यों में त्रियुंड की तलहटी बेहद खतरनाक है। यहां जो भटक कर फंसा वो वापस नहीं लौटा। लेकिन दिल्ली का हिमांशु सौभाग्यशाली है कि जांबाज युवकों ने उसे सकुशल रेस्क्यू कर लिया। मीडिया रिपोर्टस की मानें तो यहां 31 सालों में भटकने वाले ट्रैकर्स की औसतन हर साल एक मौत हुई है।
मैक्लोडगंज में ट्रैकिंग का कारोबार करने वाले लोगों ने आंकडे़ एकत्रित करने शुरू किए थे। इसी में खुलासा हुआ कि 1988 से अब तक 33 लोग ऐसे थे, जो पहाडि़यों में फंसे और वापस नहीं लौट पाए। यह किसी करिश्मे से कम नहीं था कि दिल्ली का हिमांशु पानी पीकर खुद को जीवित रखने में कामयाब रहा। साथ ही कुदरत ने भी उसे जंगली जानवरों के हमले से सुरक्षित रखा।
मंगलवार को ईगल हाईट ट्रैकर्स के संस्थापक प्रेम सागर ने मीडिया को बताया था कि हिमांशु को रेस्क्यू करने वाली 13 सदस्यीय टीम के लीडर कुलदीप सिंह थे। पहाडि़यों में फंसे हिमांशु को अपने पिता पर विश्वास था कि उसे ढूंढ लेंगे। यही दृढ़शक्ति उसके जिंदा रहने की वजह बनी। पिता ने ही स्थानीय ट्रैकर्स से बेटे को तलाषने की गुहार लगाई थी।