एमबीएम न्यूज़/शिलाई
रोनहाट उपतहसील में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला तक सैकड़ों विद्यार्थियों के आवागमन के इकलौते मार्ग पर पुलिया बनाने के डीसी के आदेशों को ठेंगा दिखाया गया है। बरसात में स्कूल मार्ग के बीच में आने वाला यह नाला पार करना विद्यार्थियों का सबसे बड़ा डर है। सोशल मीडिया और समाचार के माध्यम से जब मामला डीसी के ध्यान में पहुँचा तो मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने तत्काल प्रभाव से विकास खंड अधिकारी शिलाई को स्कूल मार्ग को सुरक्षित बनाने के लिए शीघ्र कार्य करने के आदेश जारी किये।
हालांकि डीसी के आदेशों के बाद विकास खंड अधिकारी शिलाई ने अपनी पूरी टीम के साथ मौके का मुआयना किया। विद्यालय मार्ग पर पुलिया बनाने और रास्ते को पक्का करने की बात कहीं। डीसी द्वारा जारी आदेशों को आठ माह पूरे होने को है। मगर अभी तक न तो सैकड़ों नौनिहालों के लिए पक्का रास्ता बन पाया है और न ही पागल नाले पर पुलिया बनाने की प्रकिया शुरू हो पाई है। ऐसे में जहां एक और रोजाना स्कूल आने जाने वाले सैकंडों विद्यार्थियों को परेशानी उठानी पड़ती है, वहीँ ये बात भी साफ़ हो जाती है कि डीसी के सख्त आदेशों को लेकर अधिकारी कितने गंभीर रहते है।
जरा सी बारिश में भी अक्सर उफान पर पागल नाला
आसमान से बारिश की बूंदे बरसते ही रोनहाट स्कूल के रास्ते में आने वाला ये पागल नाला अपना रौद्र रूप धारण कर लेता है। विद्यार्थियों के साथ-साथ अध्यापकों और स्टॉफ के लिए भी नाले का तेज जलप्रवाह बड़ी मुसीबत बन जाता है। उफनते नाले को बच्चों से पार करवाने के लिए अध्यापकों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। जरा सी लापरवाही इन नौनिहालों की जान पर भारी पड़ सकती है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियों में भी अध्यापक स्कूल के बच्चों को उठा कर उफनते नाला पार करवाते नजर आए थे। जिसके बाद डीसी ने विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिहाज से तत्काल आवश्यक कदम उठाने के कड़े आदेश जारी किए थे।
आसमान में बादल आते ही अविभावकों को होने लगती है अपने बच्चों की टेंशन
रोनहाट स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थियों के अविभावकों को आसमान में बादल दिखने के बाद अपने बच्चों की टेंशन होने लगती है। संत राम, ज्योति राम, सुरेश कुमार, नित्ता राम, सुनिता देवी, लक्ष्मी शर्मा, रमेश, बलदेव आदि लोगों ने बताया कि उन्हें मज़बूरी में मौसम खराब होने की स्थिति में अपने बच्चों को स्कूल जाने से रोकना पड़ता है। क्योंकि विद्यालय पहुँचने का एक ही मार्ग है जिसमें पागल नाला उनकी सबसे बड़ी परेशानी है।
हालांकि स्कूल प्रबंधन अक्सर नाले में जलस्तर बढ़ने की सूरत में बच्चों को अपनी उपस्थिति में नाला पार करवाता है। मगर फिर भी बच्चों के घर वापसी पहुँचने तक उनकी सलामती की चिंता बनी रहती है। एसएमसी की बैठक में भी अनेकों बार इस मुद्दे को उठाया गया है, मगर आज तक कोई समाधान नहीं हुआ। डीसी के संज्ञान में मामला आने के बाद उम्मीद जगी थी कि शायद अब उनके बच्चों को स्कूल आने-जाने के लिए सुरक्षित रास्ता मिल जाएगा। मगर लगता है कि अभी तक उन्होंने भी स्कूल मार्ग को सुरक्षित करने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की है।
देखें कैसे बरसात में स्कूल पहुंचते हैं अध्यापक-बच्चे
https://youtu.be/soVVJHyvpKA
स्कूल प्रबंधन जोखिम देखकर भी बारिश में नहीं कर सकता है स्कूल में छुट्टी
अविभावकों द्वारा बारिश की स्थिति में स्कूल की छुट्टी करने की सूरत में प्रधानाचार्य संजय कुमार ने बताया कि वो विद्यालय में छुट्टी करने के लिए अधिकृत नहीं है। ये निर्णय उच्चाधिकारी ही ले सकते है। उन्होंने बताया कि अविभावकों को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। पागल नाले में जलस्तर बढ़ने से उसको पार करना जोखिम भरा जरूर हो जाता है, मगर अध्यापको और अन्य स्टॉफ की देख-रेख में ही विद्यार्थियों से नाला पार करवाया जाता है।