सुभाष कुमार गौतम / घुमारवीं
आखिर जब रिटायर्ड फौजी का मेडिकल करवा लिया गया था तो दो घंटे बाद उसकी मौत कैसे हो गई। इस सवाल का जवाब पुलिस से मांगा जा रहा है। पुलिस की कार्यशैली को संदेह के कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। पूर्व फौजी की जब हालत बिगड़ी, उस समय वह पुलिस की हिरासत में था। अब दो पहलू हैं।
इसके मुताबिक अधिक शराब के सेवन को लेकर तो मेडिकल करवा लिया गया, लेकिन इस बात का अंदाजा नहीं हुआ कि रिटायर्ड फौजी अशोक कुमार ने कोई जहरीला पदार्थ निगला हुआ है। दूसरा पहलू यह है कि पुलिस के खौफ से पूर्व फौजी की मौत हो गई हो। पिछले दो दिनो से रिटायर्ड फौजी घर में मारपीट कर रहा था। हालत न सुधरने पर परिवार ने ही पुलिस को घर पर बुलाया था।
ग्राम पंचायत दंगार के मैरे गांव का रहने वाला सेवानिवृत सैनिक अशोक कुमार जब नहीं मान रहा था तो पुलिस उसे भराड़ी ले गई। आईपीसी की धारा-107 व 151 के तहत मामला भी दर्ज हुआ था। लेकिन भराड़ी में डॉक्टर न होने की वजह से उसे मेडिकल के लिए घुमारवीं लाया गया। मेडिकल रिपोर्ट में शराब के सेवन की पुष्टि हो गई। इसके बाद उसे वापस भराड़ी ले जाया गया, लेकिन दो घंटे बाद तबीयत बिगडऩे पर उसे फिर घुमारवीं लाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
परिवार वालों का कहना है कि जब तक वो अस्पताल पहुंचे अशोक की मौत हो चुकी थी। उधर अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार शाखा की बिलासपुर यूनिट के उप प्रधान विपिन चंदेल ने आरोप लगाया है कि सेवानिवृत सैनिक की मौत पुलिस हिरासत में हुई है। परिवार को न्याय मिलना चाहिए। उधर फोरेंसिक टीम भी अपने स्तर पर सैंपल जुटाकर जांच कर रही है।
उधर डीएसपी राजेंद्र कुमार का कहना है कि अशोक की मौत पुलिस कस्टडी में हुई है या नहीं, इस बात को लेकर गंभीरता से जांच की जा रही है। उनका कहना है कि पूरी मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद ही सच्चाई सामने आएगी।