एमबीएम न्यूज/शिमला/नाहन
आप यह जानकर दंग रह जाएंगे, शिक्षा महकमे में निशुल्क पुस्तकों के वितरण में भी आरक्षण लागू है। हालांकि काफी अरसे से ऐसा चल रहा है, लेकिन अब पोल खुली है। दरअसल सोशल मीडिया में एक पोस्ट आई। इसके मुताबिक सरकारी स्कूलों में नौंवी व दसवीं कक्षा की जरनल कैटेगरी के छात्रों को निशुल्क पुस्तकें नहीं मिलती हैं। सनद रहे कि एनसीआरटी के पाठयक्रम की पुस्तकों को प्रदान करने की व्यवस्था है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने सोशल मीडिया की पोस्ट की सच्चाई जानने का प्रयास किया तो खुलासा हुआ कि नौंवी व दसवीं कक्षाओं में सामान्य वर्ग के छात्रों को निशुल्क किताबें नहीं मिलती हैं, केवल आरक्षित वर्ग के बच्चों को ही पुस्तकें देने का प्रावधान है। डीपीईपी के तहत शुरू में पहली से पांचवी तक यह व्यवस्था लागू की गई, जिसे चरणबद्ध तरीके से दसवीं तक कर दिया गया।
कमाल देखिए, केवल नौंवी व दसवीं कक्षा में ही जनरल कैटेगरी के छात्रों को पुस्तकें नहीं मिलती हैं। जबकि आठवीं तक हरेक वर्ग को किताबें देने का प्रावधान है। हालांकि स्पष्ट तौर पर आंकड़े उपलब्ध नहीं है, लेकिन मोटे अनुमान के अनुसार प्रदेश भर में नौंवी व दसवीं में सामान्य वर्ग के छात्रों की संख्या 50 हजार से अधिक हो सकती है। हाल ही में हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ की पालमपुर शाखा ने इसका विरोध भी किया था।
अहम बात यह भी है कि सामान्य वर्ग के बच्चों को पढऩे के लिए दुकानों से भी किताबें नहीं मिल पाती हैं। मजबूरन उन्हें पुरानी पुस्तकों से ही पढ़ाई करनी पड़ती है। उधर सिरमौर में सर्वशिक्षा अभियान के जिला परियोजना अधिकारी मुरली मनोहर गुप्ता का कहना है कि नौंवी व दसवीं में सामान्य वर्ग के छात्रों को निशुल्क किताबें देने का प्रावधान नहीं है।