बिलासपुर (अभिषेक मिश्रा) : दर-दर की ठोकरे खाने वाले आवारा पशुओ के लिए सरकार ने गोसदन बनाने की योजना बनाई थी ताकि आवारा पशुओ को दर दर की ठोकरे खाने को न मिले और उन्हें स्थाई आसरा मिल जाए। किसानो के खेत भी इन आवारा पशुओ के आतंक से बच सके। इस दिशा में बरमाणा पंचायत ने वर्ष 2014 में कदम उठाया और लघट गाँव में गौसदन के निर्माण का कार्य आरम्भ किया।
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हालाँकि सरकार की तरफ से उस समय इस गौसदन निर्माण के लिए पंचायत को कोई सहयता नही मिली, जिसके बाबजूद पंचायत सदस्यों और बीडीसी सदस्यों ने अपने अपने फण्ड से इस नेक कार्य के लिए 10 लाख रु का जुगाड़ किया और इस गौसदन के निर्माण कार्य को शुरू कर दिया। बरमाना पंचायत के पूर्व प्रधान रमेश कुमार ने बताया की गौसदन निर्माण के लिए सबसे पहले उन्हें उस स्थान तक सड़क का निर्माण करवाना पड़ा। सड़क बन जाने के बाद उस स्थान पर जेसीबी लगा कर उस जगह को समतल करवाया गया जिसके बाद गौसदन की फाउंडेशन तैयार की गई।
रमेश कुमार ने बताया की भूमि समतल करवाने के लिए उस समय तीन जेसीबी लगानी पड़ी थी जिसके बाद वो भूमि समतल हुई थी। जिसके बाद पूर्व पंचायत के समय में ही इस गौसदन का अधिकतर कार्य पूर्ण हो गया था और नई पंचायत को यहाँ पर सिर्फ और सिर्फ कमरे बनाने का कार्य शेष बचा था। वर्तमान पंचायत ने इस कार्य को भी कब से पूरा कर लिया है और बरमाना पंचायत के लघट में कब से गौसदन बन कर तैयार हो गया है और इस गौसदन में पशुओ के लिए एक हैण्डपम्प का निर्माण भी करवाया जा चूका है, ताकि इन बेजुबान पशुओ को पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था हो सके। परन्तु गौसदन तैयार होने के वावजूद भी बेसहारा पशुओ को अभी तक सहारा नही मिला।
वर्तमान पंचायत प्रधान की लेट लतीफी के कारण गौसदन तैयार होने के बाबजूद बेसहारा पशु अभी भी सड़क पर है। उन्होंने कहा कि गौसदन को लेकर भी राजनीति खेली जा रही है। वर्तमान प्रधान पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रधान चाहता है कि लघट में तैयार हुए गौसदन का उद्घाटन भाजपा सरकार के समय भाजपा के नेताओ से करवाया जायेगा इस राजनीती की वजह से अभी तक बेसहारा पशु अभी भी सडको पर दर दर की ठोकरे खाने के लिए मजबूर है। रमेश कुमार ने कहा कि यदि पंचायत प्रधान ने जल्दी ही इन आवारा पशुओ को सहारा नही दिया तो सभी ग्रामवासी पशुओ को जबरन गौसदन में बाँध देंगे।
उन्होंने कहा कि गौसदन जैसे नैतिक कार्यो को चलाने के लिए सरकार पर ही निर्भर नही होना चाहिए। बल्कि एक कमेटी का गठन कर स्वयम पंचायत भी इस नैतिक कार्य को लोगो के सहयोग से चला सकती है। गौसदन भवन के तैयार होते ही हैंडपम्प द्वारा पानी की व्यवस्था भी हो चुकी है। परन्तु इस नैतिक कार्य मे भी राजनीतिकरण हो रहा है।
जब इस संदर्भ में हमने बरमाना पंचायत के प्रधान मंजू मन्हांस से सम्पर्क किया तो उन्होंने कहा कि गौसदन तैयार हो चुका है और जल्द ही वह पशुओ को गौसदन में लाएंगे परन्तु पशुओ की देखभाल के लिए कर्मचारी की आवश्यकता है जिसके लिए फंड को लेकर पंचायत ने प्रस्ताव पारित कर सरकार को सौंप दिया है । जैसे ही इसके लिए कोई प्रबंध होता है वैसे ही इस गौसदन को शुरू कर दिया जायेगा !