मंडी, 19 मई : सात फेरों के दौरान वर व वधू साथ जीने-मरने की सौगंध लेते हैं। मगर, सांसारिक जीवन में ऐसा दुर्लभ ही होता है, जब साथ-साथ जीने के बाद कुदरत साथ मरने का भी मौका दे। हर सुहागन का एक ख्वाब होता है कि उसकी मौत पति से पहले ही हो। यहां पत्नी का निधन पति के स्वर्गवास से चंद घंटों पहले हुआ। बुजुर्ग महिला ने संसार को एक सुहागन के रूप में ही त्यागा।
हिमाचल प्रदेश के मंडी जनपद के धर्मपुर उपमंडल के टिहरा क्षेत्र के कोट गांव में एक बुजुर्ग दंपत्ति साथ जीने-मरने की मिसाल बन गया।
कोट गांव की तकरीबन 73 वर्षीय कमला देवी स्वस्थ थी। जबकि पति कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। कमला को सांस में तकलीफ शुरू हुई। बेटा सुरेश चिकित्सक को लेने टिहरा चला गया। आधे घंटे बाद बेटा वापस पहुंचा तो मां की तबीयत नासाज थी। शुगल लेवल कम हो चुका था। कमला देवी ने कुछ ही पलों में संसार को त्याग दिया।
अंतिम संस्कार के बाद शोकाकुल परिवार घर लौटा ही था कि कमला के पति रिटायर्ड फौजी पूरन चंद पठानिया की तबीयन भी बिगड़ने लगी। तुरंत ही हमीरपुर अस्पताल पहुंचाया गया। हमीरपुर में पठानिया ने भी दम तोड़ दिया। शाम को सेवानिवृत फौजी (83) का अंतिम संस्कार भी पत्नी की चिता की बगल में किया गया।
बता दें कि बुजुर्ग दंपत्ति को पोती की शादी का बेसब्री से इंतजार था। रोजाना ही बेटे से शादी की प्लानिंग किया करते थे। कुदरत की पटकथा को कोई नहीं जानता, अगस्त में पोती की शादी से पहले ही दादा-दादी एक ही दिन संसार से चले गए।
समूचे इलाके में बुजुर्ग दंपत्ति के स्वर्गवास को लेकर चर्चा हो रही है। जिला परिषद के पूर्व सदस्य भूपेंद्र सिंह ने कहा कि बुजुर्ग दंपत्ति हमेशा ही एक-दूसरे के करीब रहते थे। बुजुर्ग महिला का स्वास्थ्य ठीक था। सबको यही लगता था कि फौजी साहब जीवन के अंतिम पड़ाव में पहुंच गए हैं। शायद, कुदरत को ये मंजूर था कि बुजुर्ग महिला एक सुहागिन के तौर पर संसार को त्यागे।
@R1