नाहन (एमबीएम न्यूज) : उत्तर-पूर्वी राज्य की माल्टूक घाटी में दो जाबांज जवानों की शहादत से समूचा सिरमौर गमगीन है। यही नहीं जिला का हरेक व्यक्ति अपने इन जाबांज बेटों की शहादत को सलाम कर रहा है। मूलत: हरिपुरधार के डसाकना व पांवटा के मानपुर देवड़ा गांव से ताल्लुक रखने वाले इन दोनों शहीदों के परिवारों सहित संबंधित क्षेत्रों के लोगों की आंखे भी नम है।
दोनों बहादुर जवानों के परिवार भी अपने जहां अपने लाडलों की शहादत पर गर्व महसूस कर रहे हैं। वहीं दोनों परिवार शोकाकुल भी है। उल्लेखनीय है कि मणिपुर में सैन्य काफिले पर घात लगाकर हुए हमले में 20 जवान शहीद हो गए, जिनमें सिरमौर जिला के यह दो सपूत भी शामिल हैं।
हरिपुरधार के समीप डसाकना गांव के 30 वर्षीय अशोक राणा की शहादत पर बेशक ही घाटी शोकाकुल है, लेकिन बेटे की इस शहादत पर माता-पिता रइनों देवी व बलदेव सिंह फर्क महसूस कर रहे हैं। अपने दोनों ही बेटों को उन्होंने देश की सेवा में लगाया।
अशोक का भाई जगत सिंह भी सेना में देश की सेवा कर रहा है। महज 4 साल की बेटी ईशिता व अढ़ाई साल की आशी के चेहरे की मासूमियत बता रही थी कि उन्हें नहीं पता कि अब उनके पापा कभी लौट कर नहीं आएंगे।
उधर घाटी में पांवटा साहिब के मानपुर देवड़ा गांव के जवान सोहन सिंह सैनी की शहादत के बाद क्षेत्र पूरी तरह से गमगीन हो उठा है। मानों शहीद जवान के परिवारों पर तो दुखों का पहाड़ ही टूटा पड़ा है। शहीद की मां रूकमणी व पत्नी रजनी को भी तो इस बात की भी सूचना नहीं दी गई कि सोहन शहीद हो गया है, बल्कि परिजनों ने उन्हें केवल इतना ही बताया कि उसे गंभीर चोटें आई है। यह सुनते ही शहीद सोहन की मां रूकमणी को दौरा पड़ गया, जिसे रात को अस्पताल में ले जाया गया। शहीद की पत्नी रजनी की हालत भी खराब ही है।
शहीद के पिता सुखदेव सिंह को अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। 22 अगस्त 1988 में जन्मे सोहन सिंह की शहादत पर उनके दो अन्य भाई हरविंद्र व मोहन भी गर्व महसूस कर रहे हैं। वहीं शहीद की एक साल तीन महीने की मासूम बेटी नवनीत को तो इतनी समझ भी नहीं है कि उसके पिता दुनिया छोडक़र चले गए हैं।
उधर कोई भी प्रशासनिक अधिकारी न पहुंचने से भी लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। वहीं सिंगपुरा पुलिस चौकी से मात्र एक फोन पर इतना कहा गया कि जब शहीद का पार्थिव शरीर यहां पहुंच जाए, तो इसकी सूचना चौकी में उपलब्ध करवा दें। शहीद के भाई हरविंद्र ने बताया कि उनके शहीद भाई सोहन का शव 7 जून को घर लाया जाएगा। कुल मिलाकर सिरमौर के लोग को अपने इन जाबांज बेटों पर गर्व महसूस कर रहे हैं।