शिमला (शैलेंद्र कालरा) : नशे के कारोबार के खिलाफ आईपीएस संजीव गांधी का खौफ बरकरार है। ऊना में बतौर एसपी तैनात होने से पहले कांगड़ा में भी गांधी की नशे के खिलाफ आंधी से हर कोई वाकिफ था। अब सट्टे के कारोबार के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक शुरू हो चुकी है। कुछ हफ्ते से शुरू की गई इस मुहिम में गांधी को सफलता भी मिलनी शुरू हुई है।
आप यह जानकर भी हैरान होंगे कि सट्टे के धंधे में पुलिस कर्मियों की संलिप्तता की जांच भी एक्शन प्लान में शामिल है। बताया गया कि एसपी गांधी ने खुद कई जगहों पर सट्टेबाजी के धंधे को देखा। इस बात से बेहद विचलित हुए कि गरीब तबका ही इस धंधे का सबसे बड़ा शिकार है। सूत्रों के मुताबिक डीएसपी व एएसपी स्तर के अधिकारियों को सट्टेबाजी के नेटवर्क को कै्रक करने की जिम्मेदारी दी गई है, क्योंकि सट्टेबाजी व जुए का कानून बेहद सरल व नरम है। लिहाजा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना आसान नहीं होता।
अपने स्तर पर जुटाई गई जानकारी में पुलिस ने पाया है कि हर रोज 15 से 18 लाख रुपए का सट्टा ऊना जिला में लगता है। जानकारी के मुताबिक अब तक सट्टे के 20 से 25 ठिकानों पर ताले जड़वा दिए गए हैं। पुलिस ने छानबीन में यह भी पाया है कि जहां पहले एक दिन में सट्टे का एक ही नंबर खुलता था तो इस जिला में दिन में चार-चार बार नंबर खोले जा रहे हैं।
उधर एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत करते हुए ऊना के एसपी संजीव गांधी ने कहा कि नशे के कारोबार के अलावा बढ़ती दुर्घटनाओं को भी नियंत्रित करने का प्रयास किया गया है, जिसमें सफलता अर्जित हुई है। उन्होंने माना कि इस बात को जानकर बेहद विचलित हुए कि गरीब लोग ही सट्टे के कारोबार का शिकार हो रहे हैं।
पढि़ए, एक्शन प्लान की खास बातें..
- यह पता लगाया जा रहा है कि सट्टे के कारोबार में मोटी रकम कमा कर संपत्तियां अर्जित करने वाले लोग क्यों आयकर के दायरे में नहीं आते।
- क्या पुलिस कर्मियों की संलिप्तता की वजह से ही धंधे का कारोबार फलता-फूलता है।
- सट्टे से इकट्ठा होने वाली रकम किसके पास पहुंचती है।
- सट्टे के अहम ठिकानों को नेस्तनाबूत करना।
- एएसपी व डीएसपी स्तर के अधिकारियों की निगरानी सुनिश्चित।
- खुफिया नेटवर्क के जरिए सट्टे के कारोबार से अहम जानकारियां जुटाई जानी।
- व्हाटस एप व वैब साइटस पर तीखी नजर। व्हाटस एप पर कारोबार को चलाया जा रहा है तो वैब साइटस पर नंबर उपलब्ध होते हैं।
Promotional :