एमबीएम न्यूज/शिमला
“लहरों से डरकर नौका कोई पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।”
वो,मध्यम परिवार से ताल्लुक रखती है। बचपन से ही होशियार बेटी की परवरिश व शिक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं किया गया। क्योंकि सब जानते थे कि एक दिन ऐसा आएगा,जब प्रिया (32)परिवार का नाम रोशन करेगी। देहरादून के प्रतिष्ठित वेल्हैम गर्ल्स स्कूल में प्रारंभिक पढ़ाई पूरी की। चूंकि मेधावी थी,लिहाजा लंदन के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान में मीडिया व कम्युनिकेशन की मास्टर्स डिग्री हासिल करने के लिए दाखिला मिल गया।
यहां तक सबकुछ ठीक ठाक था। 2012 में एक ऐसा भयावक मोड़ आया, जिसने परिवार को गहरे जख्म दिए। शिमला-कालका हाईवे पर सनावरा में कार दुर्घटनाग्रस्त हुई तो पिता व बहन सहित प्रिया भी घायल हो गई। पीजीआई चंडीगढ़ में प्रिया को 20 दिन तक होश नहीं आई। आईसीयू में जिंदगी व मौत के बीच संघर्ष करती रही। बलवंत सिंह व गीता नागटा के घर जन्मी मेधावी बेटी हौंसले से सरोबार थी,यही कारण था कि वो मौत को मात देने में कामयाब हो गई। सड़क हादसा हिट एंड रन से जुड़ा हुआ था। कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रिया को कसौली में जज गौरव महाजन की अदालत में जाना पड़ा। इस दौरान जज गौरव महाजन ने ही प्रिया को प्रोत्साहित करते हुए प्रतियोगितात्मक परीक्षा की तैयारी करने को कहा। मौत को हरा चुकी प्रिया ने उसी दिन ठान लिया था कि वो एक प्रशासनिक अधिकारी बनकर ही रहेगी।
एक मर्तबा यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा को भी उत्तीर्ण करने में सफल हुई थी। तैयारी के दौरान प्रिया की सहेली निनिका धवन,जो इस वक्त कस्टम अधिकारी के तौर पर तैनात है,ने हर संभव पाठन सामग्री उपलब्ध करवाई। 32 साल की प्रिया नागटा के लिए उस वक्त सुनहरी पल आए, जब पता चला कि 2018 बैच की एचएएस अधिकारी बन गई ।
कमाल की बात देखिए कि ओवरऑल मैरिट में तीसरा स्थान हासिल करने वाली प्रिया ने साक्षात्कार में तमाम उम्मीदवारों को पछाड़ कर सर्वश्रेष्ठ अंक हासिल किए थे। मूलतः रोहडू के शेखल गांव की रहने वाली प्रिया नागटा ने 27 मई 2019 से हिपा में अपनी ट्रेनिंग शुरू की है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से फोन पर लंबी बातचीत में प्रिया ने कहा कि वो हादसे के दिन को सोच कर सिहर उठती है। उनका कहना था कि हादसे से पहले मुंबई में एक प्रतिष्ठित एडवरटाईजिंग एजेंसी में भी कार्य किया। उन्होंने कहा कि मीडिया व संचार के अलावा एडवरटाईजिंग के क्षेत्र का अनुभव प्रशासनिक अधिकारी के रूप में मददगार होगा।
उन्होंने कहा कि हताश होने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने बताया कि परिवार ने हर कदम पर प्रोत्साहित किया। एचएएस प्रिया नागटा का कहना था कि एक प्रशासनिक अधिकारी बनकर उन मेधावी युवाओं को मदद करना चाहेंगी, जो मामूली सी हार पर भी मायूस हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि हार के बाद ही जीत होती है। कुल मिलाकर होनहार बेटी की कामयाबी असाधारण है। हरेक युवा को प्रिया नागटा की सफलता से प्रेरणा लेनी चाहिए।
“मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके हौंसलों में जान होती है
पंख से कुछ नहीं होता, हौंसलों से उड़ान होती है”