मंडी (वी कुमार) : लोहड़ी एक लोकप्रिय पंजाबी त्योहार है, जो दक्षिण एशिया के पंजाब क्षेत्र के लोगों द्वारा मनाया जाता है। हिमाचल की बात करें तो यह त्योहार यहां के लोगों के लिए खास महत्व रखता है। हिमाचल प्रदेश देव भूमी है और मान्यता के अनुसार इस त्योहार को इस कारण भी मनाया जाता है कि आज के दिन सभी देवी देवत स्वर्ग से धर्म संसद में एक महिना बिताने के बाद वापिस अपने स्थान पर पहुंचते है। आज के दिन देव वाणियों के माध्यम से भविष्यवाणियां की जाती हैं और आने वाले समय में होने वाली घटनाओं और मौसम और फसल की लाभ हानियों के बारे में भी बताया जाता है।
लोककथाओं के हिसाब से लोहड़ी के कई कारण रहे हैं। हालांकि लोहड़ी मनाने का मुख्य कारण है सर्दियों की विदाई, यानी लोहडी के एक दिन पहले सारी रात लोग गिट्ठा जलाते हैं और नाच गाना कर सर्दी को विदा कर देते हैं। एसा मानना है कि इस त्योहार के बाद से सर्दियों का मौसम जाने लगता है और गर्मी का शुभारम्भ हो जाता है। मौसम परिवर्तन के लिए ही इस मौसम को मनाया जाता है। माघ सक्रांती यानी लोहडी के दिन लोग घरों में पत्री डालते हैं और अपने इष्ट देवता की पूजा करते है। लोहडी मांगने वालों का तांता भी लोहडी के रात तक जारी रहता है। बच्चे, युवा और महिलाएं झुंडों घर घर और दुकानों में लोहडी गाते और मांगते हुए दिखाई देते हैं। इस दिन लोग सुबह चार बजे उठ कर स्नान करते है जो कि बहुत शुभ माना जाता है। लोग अपने सगे संबधियों को उपहार भेंट करते हैं और सभी के मंगल समय की कामना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि लोहडी के दिन आंवले के नीचे मास की खिचडी बनाने और खाने से शुभ फल की प्राप्ति होती हैं। तो लोग इस दिन घरों में मास की खिचडी बनाते हैं और देशी घी के साथ परोस कर इस पर्व का आनंद लेते हैं। गौरतलब है कि यह त्योहार सर्दियों की समाप्ती माना जाता है और इसके बाद अब मौसम में बदलाव शुरू हो जाता है और गर्मी दस्तक देना शुरू कर देती है।