नाहन (एमबीएम न्यूज): नन्हे तबला वादक सार्थक के हुनर को अब धीरे-धीरे मंच मिलने लगा है। बुधवार को जब सार्थक इंडिया गॉट टेलेंट में हिस्सा लेने चंडीगढ़ पहुंचा, तो हर कोई आश्चर्यचकित था। राजगढ़ के गुरूकुल पीच वैली स्कूल में पहली कक्षा का छात्र सार्थक अब यह साबित करने लगा है कि उसे कला कुदरत की सौगात के तौर पर मिली है।
तबला व ढोलक वादक के अलावा सार्थक को पहाड़ी गायन में भी महारथ हासिल है। मास्टर सार्थक ऑडिशन के दौरान सबसे कम उम्र का कलाकार था। इससे पहले वह दूरदर्शन के किसान चैनल के लिए सोलन में ऑडिशन दे चुका है। सामाजिक संस्था हिमोत्कर्ष ने मास्टर सार्थक की प्रतिभा को पहचानते हुए उसे सिरमौर श्री के सम्मान से भी नवाजा था। संभवत: इस सम्मान को सबसे कम उम्र में सार्थक ने ही हासिल किया।
सार्थक के पिता अमर सिंह भी अपने बेटे की अपनी इस प्रतिभा को दबने नहीं देना चाहते। लिहाजा पूरा परिवार मिलकर हर हाल में सार्थक की इस प्रतिभा को तराशने की कोशिश में जुटा हुआ है। नन्हे सार्थक के हाथ जब तबले पर पड़ते हैं, तो मानों कोई नामी तबला वादक अपना हुनर दिखा रहा हो। पिता के मुताबिक दो-तीन साल की उम्र में ही सार्थक कटोरियां व थालियां बजाने लगा था। घर की खिड़कियों पर भी सार्थक के हाथ थिरकते थे। परिवार ने सार्थक की इस प्रतिभा को उस वक्त पहचान लिया, जब वह साढ़े 3 साल का था। फिर क्या था परिवार ने ठान ली, सार्थक की प्रतिभा को तराशा जाए।