एमबीएम न्यूज/नाहन
सोचिए, चारों तरफ घना जंगल। माईनस में तापमान। भालू व तेंदुए के हमले का डर। इन तमाम परिस्थितियों में एक चट्टान पर बैठकर रात गुजर जाए। यह केवल उसी सूरत में संभव हो सकता है, जब सच्ची आस्था से चोटी की चढ़ाई की हो। हालांकि ट्रैकर्स को नहीं पता था कि चोटी पर इस समय चढ़ाई प्रतिबंधित है, लेकिन हैरान करने वाली बात यह थी कि अनजाने में ही ट्रैकर्स चूड़धार चोटी के अंतिम छोर पर पहुंच गए। चारों तरफ बर्फ की मोटी चादर बिछी हुई थी,लेकिन कतई भी डर नहीं लगा।
सोमवार की सुबह चढ़ाई शुरू करते हैं। दोपहर तक चोटी के अंतिम छोर पर पहुंचकर भोले शंकर की प्रतिमा के सामने शीश नवाजते हैं। वापसी में नौहराधार की तरफ उतरते हुए रास्ता भटकते हैं। लाजमी तौर पर शिरगुल देव की शक्ति ही इन ट्रैकर्स का साथ दे रही होगी। तभी मोबाइल से पुलिस के साथ-साथ परिवार से संपर्क बना हुआ था। इतना आत्मविश्वास था कि मंगलवार को रेस्क्यू कर लिए जाएंगे। एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने ट्रैकर रितेश से फोन पर बात की। हैरान करने वाली बात यह भी सामने आई कि रितेश ने पहले कभी इस तरीके से ट्रैकिंग नहीं की थी, लेकिन शायद शिरगुल देवता की शक्ति ही उन्हें चोटी तक पहुंचा गई।
रितेश का कहना था कि अगर वो रास्ता न भटकते तो वो आसानी से अपने बेस कैंप तक पहुंच जाते। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जंगल में कतई भी डर नहीं लगा। चट्टान की ओट में बैठकर पूरी रात बिता ली। आग भी नहीं जलाई थी। सुबह 10 बजे के आसपास रितेश को यह जानकारी मिल गई थी कि निजी हेलीकॉप्टर की व्यवस्था भी परिवार कर रहा है। लगातार संपर्क बना रहा। खाने के लिए चिप्स व कुरकुरे आदि का इस्तेमाल किया। रितेश का साफ़ तौर पर कहना था कि भोले शंकर की कृपा ही थी जो वापस ले आई। उनका यह भी कहना था कि चमत्कार से कम नहीं था। रितेश ने बताया कि उन्हें यह मालूम नहीं था कि चोटी पर प्राचीन मंदिर के साथ आश्रम भी है।
कुल मिलाकर इस घटनाक्रम में सबसे अहम बात यह है कि अनजान युवा चोटी के अंतिम छोर तक विकट परिस्थितियों के बाद पहुंच गए। मौसम के ऐसे हालात में हेलीकॉप्टर से भी रेस्क्यू करना आसान नहीं था, क्योंकि तेज हवाएं व खराब मौसम इसमें बाधा बन सकती था। कुदरत का कमाल यह भी था कि मौसम विभाग ने 16 अप्रैल को भी बारिश व ओलावृष्टि का पूर्वानुमान जारी किया था, लेकिन एयरलिफ्टिंगके लिए भी मौसम अनुकूल हो गया। सनद रहे कि बुधवार को 35 साल बाद अप्रैल माह में चोटी पर हिमपात हुआ, अगर ऐसे हालात मंगलवार को होते तो रेस्क्यू की चुनौती का अंदाजा आप खुद लगा सकते है।