कुल्लू,( नीना गौतम ): मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का लाहुल-स्पीति का दौरान लाहुल के बाबू के लिए बेहद सुखद रहा और स्थानीय विधायक रवि ठाकुर के लिए चिंताजनक। 1980 के कांग्रेसी राजेंद्र बाबू कारपा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खासमखास माने जाते हैं और इस दौरे के दौरान मुख्यमंत्री ने राजेंद्र बाबू को अपना पूरा आशीर्वाद दिया।यही नहीं जनसभा में बाबू को गले लगाकर मुख्यमंत्री ने उनकी तारीफों के पुल भी बांधे। लेकिन हैरानी इस बात की रही कि स्थानीय विधायक रवि ठाकुर को मुख्यमंत्री ने बिल्कुल भी तरजीह नहीं दी।
लिहाजा, मुख्यमंत्री का यह दौरा स्थानीय विधायक रवि ठाकुर के लिए संतोषजनक नहीं रहा। विधायक रवि ठाकुर जहां मुख्यमंत्री के समक्ष भीड़ जुटाने में नाकामयाब रहे वहीं, मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी पूरे दौरे के दौरान उनको तरजीह न देकर यह दर्शा दिया कि जनता के साथ-साथ सीएम स्वयं भी रवि ठाकुर से नाखुश हैं। यही नहीं मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपने खासमखास सिपहसलारों की सारी बातें सुनी और उन्हें ही तरजीह भी दी।
इस दौरान कांग्रेस के पुराने नेता राजेंद्र बाबू कारपा को मुख्यमंत्री ने सिर्फ गले ही नहीं लगाया बल्कि उनको पूरा मान-सम्मान भी दौरे के दौरान दिया। यहां तक कि राजेंद्र बाबू कारपा को जनसभाओं में गले लगाते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि बाबू कारपा 1980 से कांग्रेस पार्टी के सच्चे सिपाही बने हुए हैं और आज तक ईमानदारी से जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति में राजनीति के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबू कारपा ने आज तक निस्वार्थ व व्यक्तिगत लालसा नहीं रखी और सच्चे सिपाही की तरह काम करते रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बाबू कारपा ने स्पीति घाटी से विवाह करके लाहुल व स्पीति की संस्कृति को बढ़ावा दिया है। उधर, राजेंद्र बाबू कारपा को मुख्यमंत्री द्वारा हर मंच पर दी गई तरजीह के भविष्य में मायने ही कुछ और निकाले जा रहे हैं। गौर रहे कि गत चुनाव में भी बाबू कारपा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पहली पसंद रहे हैं और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह बाबू कारपा को ही लाहुल-स्पीति से टिकट देने के हक में थे लेकिन अंतिम क्षण में बाबू कारपा का टिकट कट गया था। उधर, इस दौरे के दौरान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने राजेंद्र बाबू कारपा के जनाधार को और भी जनजातीय जिला में बढ़ाया है। सनद रहे कि लाहुल-स्पीति में विधायक रवि ठाकुर के खिलाफ अंदरूनी बगावत भी शुरू हो गई है।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने यह सब भांपते हुए अपने पुराने साथियों को तरजीह देते हुए विधायक रवि ठाकुर को साइड लाइन ही रखा है। विधायक रवि ठाकुर को मुख्यमंत्री के विरोधी होने का भी खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। विधायक रवि ठाकुर शुरू से ही मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के कट्टर विरोधियों में रहे हैं। हालांकि अंतिम वर्ष में रवि ठाकुर ने मुख्यमंत्री से नजदीकियां बढ़ाने की काफी कोशिशें की थी और क्षेत्र में जाकर मुख्यमंत्री के खासमखास बनने की हामी भी भर रहे थे लेकिन मुख्यमंत्री के इस दौरे ने साफ कर दिया है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह रवि ठाकुर के कामों से संतुष्ट नहीं हैं। यही नहीं रवि ठाकुर द्वारा की गई एक भी मांग को मुख्यमंत्री ने तरजीह न देते हुए पूरा नहीं किया है जबकि अन्य नेताओं द्वारा रखी गई मांगों पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने तुरंत मोहर लगा दी है।