शिमला, 30 अप्रैल : पालमपुर के कारोबारी के साथ विवाद मामले में चर्चा में रहे हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) संजय कुंडू आज (मंगलवार) को सेवानिवृत्त हो गए हैं। 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी संजय कुंडू (Sanjay Kundu) की तेज तर्रार पुलिस अधिकारी की छवि रही है। संजय कुंडू 3 साल 11 महीने तक सूबे के डीजीपी (DGP) की कुर्सी पर रहे। विभाग ने मंगलवार को संजय कुंडू को गरिमापूर्ण विदाई दी।
खास बात यह है कि इस दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारों के साथ काम किया। सत्ता परिवर्तन होते ही अक्सर अहम पदों पर बैठे अधिकारी सबसे पहले बदले जाते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कुंडू को नहीं बदला। हालांकि, कांग्रेस में अंदरखाते विरोध भी हुआ, क्योंकि कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए संजय कुंडू को पुलिस कॉन्स्टेबल (Police Constable) पेपर लीक का मास्टरमाइंड (Mastermind) बताया था और उन्हें पद से हटाने के लिए राजभवन के बाहर धरना दिया था, लेकिन जब कांग्रेस सत्ता में आई तो कुंडू को नहीं हटाया गया।
संजय कुंडू 31 मई 2020 को डीजीपी बने थे, जब सूबे में जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार थी। भाजपा शासन के दौरान वह 2 साल सात माह तक डीजीपी रहे। कांग्रेस सरकार में उन्होंने 1 साल चार माह तक डीजीपी का औहदा संभाले रखा। संजय कुंडू उन गिने चुने आईपीएस अधिकारियों (IPS Sanjay Kundu) में शामिल हैं, जिन्होंने उन अहम पदों का भी जिम्मा संभाला, जिन पर आईएएस तैनात किए जाते रहे हैं। पूर्व भाजपा सरकार ने संजय कुंडू को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से बुलाकर सरकार में अफसरशाही के महत्त्वपूर्ण ओहदे पर बिठाया था। वर्ष 2018 में उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से बुलाया गया था। इसके बाद वह दो साल तक प्रिंसिपल सेक्रेटरी टू सीएम रहे। उस समय जयराम ठाकुर सूबे के मुख्यमंत्री थे। इसके साथ ही संजय कुंडू के पास आबकारी व कराधान, विजिलेंस, प्रिंसिपल रेजिडेंट कमिश्नर दिल्ली की भी जिम्मेदारी थी।
कारोबारी से विवाद के बाद हटाया गया था, सुप्रीम कोर्ट ने किया बहाल
हाल ही में पालमपुर के एक कारोबारी से विवाद के बाद हाईकोर्ट ने संजय कुंडू को डीजीपी पद से हटाने का आदेश दिया था। इसके बाद राज्य सरकार ने डीजीपी को हटाकर आयुष विभाग में भेज दिया। हालांकि डीजीपी (DGP) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कुंडू के ट्रांसफर (Transfer) के आदेश को रद्द कर दिया था। इसके बाद हिमाचल सरकार ने संजय कुंडू को ट्रांसफर करने के पिछले आदेश को रद्द कर उनकी डीजीपी पद पर बहाली कर दी थी।
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दरअसल, पालमपुर के कारोबारी ने प्रॉपर्टी विवाद में पुलिस महानिदेशक पर धमकाने का आरोप लगा था। कांगड़ा में कारोबारी को दो बाइकर्स (Bikers) ने धमकाया था। साथ ही पुलिस महानिदेशक के दफ्तर से भी कारोबारी को कई बार फोन किया गया। इस पर कारोबारी ने हाईकोर्ट में शिकायत कर केस दर्ज करवाया। इस मामले में उच्च न्यायालय ने डीजीपी और कांगड़ा एसपी को हटाने के आदेश दिए थे।
डीजीपी संजय कुंडू के सेवानिवृत्त होने पर मंगलवार को भराड़ी में विदाई समारोह का आयोजन किया गया। इसमें विभागीय अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे। सोमवार को भी पुलिस मुख्यालय में खासी चहल-पहल देखने को मिली और कई अधिकारियों ने डीजीपी से मुलाकात की।
डीजीपी की रेस में तीन वरिष्ठ आईपीएस, एसआर ओझा सबसे ऊपर
प्रदेश के नए डीजीपी को लेकर मंथन शुरू हो गया है। यदि सरकार द्वारा वरिष्ठता को दरकिनार नहीं किया जाता है तो वर्ष 1989 बैच के आईपीएस डीजी जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं एसआर ओझा आते हैं और उन्हें प्रदेश पुलिस का नया मुखिया बनाया जा सकता है। हाल ही में कुंडू के छुट्टी जाने पर सरकार ने एसआर ओझा (IPS SR Ojha) को ही 13 दिनों के लिए डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा था।
ओझा कुछ माह पहले ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस लौटे हैं। वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान सीआरपीएफ में अतिरिक्त महानिदेशक के पद पर तैनात थे। ओझा के बाद वरिष्ठता में वर्ष 1990 बैच के आईपीएस श्याम भगत नेगी का नाम आता है। उनके बाद वरिष्ठता सूची में 1991 बैच के आईपीएस डाॅ. अतुल वर्मा, 1993 बैच के अनुराग गर्ग, अशोक तिवारी और ऋत्विक रुद्रा हैं।