उमेश ललित/ धर्मपुर(मंडी) उपमंडल के बरोटी स्कूल का एक सौ पांच साल का गौरवशाली इतिहास रहा है जिसने, समाज को कई नामी शिक्षाविद्, समाजसेवी, चिकित्सक, वकील और पत्रकार दिए, लेकिन यह स्कूल आज भी सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहा है। भवन और शिक्षकों की कमी तथा साइंस लैब सुविधा का न होना छात्रों और अभिवावकों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।
आज का राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बरोटी वर्ष1912 में आरंभ हुआ था जो 57 साल बाद वर्ष 1969 में मिडल, 1983 में हाई स्कूल और अंततः वर्ष 2007 में सीनियर सेकेंडरी स्कूल घोषित किया गया। इस पाठशाला की सबसे बड़ी जरूरत छात्रों के लिए क्लास रूम ,साइंस लैब और शिक्षक हैं।
रावमापा बरोटी में आसपास की चार पंचायतों के लंगेहड़, बारल, बनाल, डिडणु, मलौन, बनेरडी, सपड़ी, रखेड़ा, सरसकान, हवाणी, ठाँबा, बनुही, लवनपुर, ठाणा, बंजाल जैसे दर्जनों गांवों से चार सौ छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
इस पाठशाला की दयनीय हालत देख कर क्षेत्र के समाजसेवी एवं पूर्व उपायुक्त सोहन लाल ने करीब पैंतीस वर्ष पूर्व तीन कमरों का निर्माण कराया था। वर्तमान में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बरोटी के पास कुल पंद्रह कमरे है जिसमें प्रधानाचार्य-कक्ष, कार्यालय,दो आईसीटी लैब, एक स्टॉफ रूम और एक दसवीं कक्षा की विज्ञान प्रयोगशाला भी शामिल है।
इस प्रकार छात्रों के लिए मात्र नौ कमरे उपलब्ध हैं जबकि जमा एक और जमा दो की विज्ञान, कॉमर्स और कला संकाय को मिलाकर कुल गयारह कक्षाएं चलती हैं। नौ कमरों में ग्यारह कक्षाएं चलाना कठिन होने के कारण कुछ कक्षाएं निर्माणाधीन पंचायत घर में बिठानी पड़ती हैं।
पाठशाला का मौजूदा ब्लॉक जिसे दान की राशि से निर्मित किया गया था अत्यंत जर्जरावस्था में पहुंच चुका है। इससे प्लास्टर के बड़े बड़े टुकड़े गिरते हैं जो किसी छात्र पर गिर कर बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं।
वहीं पाठशाला में साइंस लैब न होने से जमा एक और दो में विज्ञान विषय पढ़ रहे विद्यार्थियों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है।उनके अभिवावकों का कहना है कि जब तक प्रेक्टिकल नहीं पढ़ेंगे तो छात्रों को थ्योरी से क्या लाभ मिलेगा।
पाठशाला में करीब चार सौ छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। मौजूदा भवन कक्षाएं चलाने के लिए नाकाफी है। भाषा अध्यापक का पद कई वर्षों से रिक्त है जिसके बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है। साइंस लैब न होने से विज्ञान संकाय के छात्रों को पढाई में कठिनाई पेश आती है।
देश राज वर्मा, प्रधानाचार्य, रावमापा-बरोटी
“पाठशाला में भवन की कमी, भाषा अध्यापक और विज्ञान प्रयोगशाला के लिए कई बार शिक्षा विभाग और सरकार को लिखा गया लेकिन अभी तक कोई आवश्यक कार्रवाई नहीं हो सकी है।कमरों की कमी के चलते कुछ कक्षाएं निर्माणाधीन पंचायत घर में बिठाई जाती हैं “
प्रोमिला ठाकुर,प्रधान, ग्राम पंचायत-सरसकान