नाहन (एमबीएम न्यूज) : यह बात काफी चर्चा में है कि पांवटा साहिब की 32 वर्षीय पुत्रवधू नैंसी शर्मा ने अंगदान किए हैं, लेकिन एक सच्चाई है जो अब तक सामने नहीं आई है। इसके मुताबिक परी जैसी बेटी के आकस्मिक निधन से गमगीन पिता अशोक शर्मा ने कांपते हाथों से उन दस्तावेजों पर दस्तख्त किए, जो अंगदान के लिए जरूरी थे। इस तरह के हौंसले से लबरेज पिता चंद ही होते हैं।
अंबाला में सैटल नैंसी के पिता अशोक शर्मा कहते हैं कि बेटी बचपन से ही एक बहादुर बच्ची थी, जो हमेशा मानवता से प्यार करती रही। एक बेहतरीन कुक भी थी। पिता के मुताबिक बड़ी बेटी भूमिका व दामाद अनुदीप ने उनके सामने बेटी के अंगदान का प्रस्ताव रखा, जिनके विचारों से सहमत हो गया। लेकिन जब दस्तावेजों पर दस्तख्त करने का समय आया तो हाथ कांपने लगे। उनका यह भी कहना है कि नैंसी जैसी बेटी को खोने का दुख है, लेकिन जो मिसाल आज समाज के सामने है उस पर गर्व महसूस करता हूं।
गौरतलब है कि पांवटा साहिब की पुत्रवधू नैंसी व पच्छाद की वासनी पंचायत के रहने वाले जगत सिंह के अंगों को ले जाने के लिए चंडीगढ़ से तीन विशेष विमानों ने उड़ान भरी।
14 साल के बच्चे को मिला नैंसी का दिल..
यह बात सत्य है कि नैंसी दुनिया में नहीं रही, लेकिन जो दिल दान कर गई, उससे एक 14 साल के बच्चे का जीवन बच गया है। शुक्रवार को आगरा के रहने वाले 14 साल के बच्चे को नैंसी का हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया। नैंसी का हार्ट 11:20 बजे चिकित्सकों को मिला। ग्रीन कोरीडोर से चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर पहुंचा। एक बजे दिल्ली एयरपोर्ट पर विमान की लैंडिंग हो गई थी।
यहां से भी विशेष वाहन ने 18 किलोमीटर की दूरी पर अस्पताल तक पहुंचने के लिए 18 मिनट का वक्त लगाया। राजधानी में भी एंबूलेंस के लिए ग्रीन कोरीडोर बनाया गया था। बिना विलंब के 14 साल के बच्चे को नैंसी का हार्ट ट्रांसप्लांट कर दिया गया। यही बात नैंसी के पिता अशोक शर्मा को अब सुकून दे रही है।