शिमला (एमबीएम न्यूज़) : हिमाचल प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों से बीते वर्ष 5 हजार से अधिक मरीज उपचार के लिए पीजीआई रैफर किए गए। वर्ष 2016 में 5346 मरीज अस्पतालों से पीजीआई रैफर हुए थे।
सबसे अधिक 1385 मरीज सोलन जिले से पीजीआई के लिए भेजे गए। इसके अलावा उना से 1270, टांडा से 1134, आईजीएमसी से 650, कुल्लू से 227, मण्डी से 194, बिलासपुर से 210, हमीरपुर से 150, कांगड़ा से 104 मरीज रैफर किए गए। सिरमौर जिलों के अस्पतालों से महज 19 मरीज पीजीआई रैफर हुए। टीवी सैंटोरियम धर्मपुर से 2 और चंबा से केवल 1 मरीज पीजीआई रैफर किया गया। किन्नौर, लाहौलस्पीति और शिमला जिलों से एक भी मरीज पीजीआई के लिए रैफर नहीं हुआ।
स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने भाजपा विधायक महेश्वर सिंह के प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी। कौल सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा चंडीगढ़ में मरीजों व तीमारदारों के ठहरने के लिए सैक्टर 24 व सेक्टर 25 में सराय की व्यवस्था की गई है, जहां से एंबुलेसं व बस रोजाना मरीजों-तीमारदारों को पीजीआई पहुंचाने के लिए एंबुलेंस और बसों की व्यवस्था है। कौल सिंह ने कहा कि वर्तमान में पीजीआई में लाईजनिंग अधिकारी का कोई भी पद हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की तैनाती के लिए उपलब्ध नहीं है। इसलिए प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की इस पद पर नियुक्ति संभव नही हैं।
भाजपा के राजीव बिंदल के स्मार्ट सिटी पर पूछे प्रश्न के उत्तर में शहरी विकास मंत्री की गैरमाजूदगी में संसदीय कार्य मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि सोलन, नाहन और मण्डी शहरों की जनसंख्या निर्धारित मानकों से कम होने कारण इन्हें नगर निगम नहीं बनाया गया, जबकि धर्मशाला शहर ने इस शर्त को पूरा कर लिया। नगर निगम बनाने के लिए 50 हजार से अधिक जनसंख्या होनी अनिवार्य है।
2015-16 में नगर परिषद धर्मशाला में नए क्षेत्र सम्मिलत होने से इसकी आबादी 53 हजार 5 सौ 43 हो गई है। इसलिए इसे नगर निगम में परिवर्तित किया गया। मंत्री ने बताया कि धर्मशाला नगर निगम को स्मार्ट सिटी के तहत केंद्र से 500 करोड़ की धनराशि प्राप्त होगी। जबकि 15 फरवरी 2017 तक केंद्र सरकार से 190 करोड़ की धनराशि प्राप्त हो चुकी है।