शिमला (एमबीएम न्यूज़) : प्रदेश सरकार पूर्व भाजपा सरकार द्वारा योगगुरू बाबा रामदेव की पतंजलि ट्रस्ट को दी गई भूमि के पट्टे को रद्द किए जाने के अपने निर्णय पर पुर्नविचार कर रही है।
वीरभद्र सरकार ने सत्ता में आते ही पूर्व भाजपा सरकार के जिला सोलन के साधूपुल के निकट लगभग 95 एकड़ भूमि पट्टे पर पतंजलि ट्रस्ट को देने के निर्णय को रद्द कर दिया था।
जानकार सूत्रों का कहना है कि बाबा रामदेव कुछ समय पहले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को मिले थे और उन्होंने मुख्यमंत्री को हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के निकट अपना अनुसंधान केंद्र तथा औषधीया उद्यान के विकास के लिए मांगी गई भूमि के पट्टे को रद्द करने के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था।
अफसरशाही से मिले संकेतों के अनुसार हिमाचल प्रदेश मंत्रिमण्डल की आगामी 17 फरवरी को प्रस्तावित बैठक में इस मुददे के फिर कार्यसूची पर आने की संभावना है।
उधर, अधिकृत सूत्रों का कहना है कि विभाग ने इस मामले के बारे में कानून विभाग की भी राय मांगी है। पूर्व भाजपा सरकार द्वारा पतंजलि को दी गई भूमि पहले पटियाला शाही परिवार की थी और पंजाब सरकार ने यह भूमि इंदिरा हॉलिडे होम नामक संस्था को दान में दे दी थी। बाद में पिछली भाजपा सरकार ने इस भूमि को पतंजलि योगपीठ को 99 साल के लिए लीज पर दे दिया।
कांग्रेस की ओर से इस भूमि को पट्टे पर दिए जाने का विरोध किया गया था और इसे गैरकानूनी बताया था। इस भूमि की कीमत करीब 35 करोड़ आंकी थी। पतंजलि योगपीठ के एक सूत्र ने कहा कि पूरी उम्मीद है कि वीरभद्र सरकार पट्टे को रद्द करने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार करेगी और यह भूमि फिर से पतंजलि योगपीठ को मिलेगी, जहां भविष्य में पतंजलि संस्थान अपना औषधीय उद्यान तथा अनुसंधान केंद्र स्थापित करेगा तथा विभिन्न औषधीय तैयार करने वाले पौधों की कृषि भी करेगा।