शैलेंद्र कालरा । नाहन
-मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने त्रिलोकपुर में किया उदघाटन
उत्तर भारत की प्रसिद्ध शक्तिपीठ महामाया बालासुंदरी मंदिर त्रिलोकपुर के चरणों में शुक्रवार को एक बहुमूल्य खजाना जनता को समर्पित किया गया है। 9 साल पुराने इस ड्रीम प्रोजैक्ट ”लोक संग्रहालय“ का आखिरकार आज (3 अप्रैल) मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने उदघाटन किया। विजीटर डायरी के पहले पन्ने पर अपने विचार प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि इस तरह के संग्रहालय का निर्माण एक बेहतरीन विचार है।
इससे हिमाचल व सिरमौर की प्राचीन विरासत व इतिहास को सहेजने का सुनहरी मौका मिला हैै। ऐसा भी माना जा रहा है कि समूचे हिमाचल प्रदेश में अपनी तरह का यह पहला ही संग्रहालय होगा। इसके निर्माण पर त्रिलोकपुर मंदिर न्यास ने लगभग दो करोड़ रुपए की राशि खर्च की है। इस संग्रहालय को तीन हिस्सों में बांटा गया है। धरातल की मंजिल पर प्रस्तर कला वीथी (ऑर्केलॉजिकल गैलरी) व दूसरी मंजिल पर नृविज्ञान (एनथ्रोकोलॉजी गैलरी) में बांटा गया है। जबकि तीसरे हिस्से में सिरमौर के स्वतंत्रता सेनानियों की गैलरी बनाई गई है।
काफी मेहनत के बाद एंटीक्स के अलावा वाद्ययंत्रों, शाही महल से जुड़ी दुर्लभ वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है। इसमें सिरमौरी ताल के राजमहल के अवशेष के अलावा एक ऐसा गुंबद आकर्षण का केंद्र बिंदु है, जो मां बाला सुंदरी के प्राचीन मंदिर से जुड़ा है। वहीं ऐतिहासिक शस्त्र व प्राचीन सिक्के, बर्तन भी कला प्रेमियों के लिए बेजोड़ मिसाल पेश कर रहे हैं। एक देव पालकी भी सिरमौर के इतिहास को इस संग्रहालय में उजागर करती नजर आ रही है। इस देव पालकी से देवी-देवताओं की शोभा यात्राओं की याद ताजा हो जाती है।
दरअसल यह अनमोल खजाना तो अपने आप में एक विरासत बन ही गया है। लेकिन इस भवन का नक्शा इस तरह से बनाया गया है, जिस तरीके से संभवतः दशकों पहले भवन बना करते थे। पहाड़ी शैली के निर्माण का भी यह संग्रहालय एक बेजोड़ उदाहरण बना है।
क्या है अब आगे की जरूरत?
अब जिस तरह से इस संग्रहालय को बनाने के लिए बेशकीमती खजाना इकट्ठा किया गया है, लिहाजा अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटकों को संग्रहालय तक पहुंचाने के लिए एक रणनीति की आवश्यकता है। प्रथम चरण में इसकी वैबसाइट भी बन सकती है, साथ ही टूरिज्म विभाग को भी प्रचार के लिए सामग्री उपलब्ध करवाई जानी चाहिए।