शिमला (शैलेंद्र कालरा): हिमाचल पुलिस के हैड कांस्टेबल राजेश ठाकुर को अपराधी किलर कहते हैं। यह तमगा ठाकुर को अपराधियों ने ही दिया है, क्योंकि बेखौफ होकर पुलिस का यह जवान संगीन से संगीन जुर्म के अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने की महारत रखता है।
एमबीएम न्यूज नेटर्वक का हमेशा प्रयास रहा है कि अपनी डयूटी को निष्ठा से निभा रहे अधिकारियों व कर्मचारियों को पाठकों के सामने लाया जाए। इसी श्रृंखला में किलर आपके सामने है। मूलत: सरकाघाट के अवाहदेवी के रहने वाले राजेश ठाकुर ने 16 नवंबर 1999 को विभाग में कांस्टेबल के तौर पर नौकरी शुरू की। इस रैंक में डीजीपी डिस्क अवार्ड हासिल करने वाले समूचे प्रदेश में पहले पुलिस कर्मी हैं।
28 अगस्त 1979 को जन्में हैड कांस्टेबल राजेश की दबंगई व तेज दिमाग से विभाग भी परिचित है। लिहाजा जटिल से जटिल आपराधिक मामलों में राजेश को टीम का हिस्सा बनाया जाता है। इस पुलिस जवान की तैनाती 2006 से 2009 तक मंडी में रही। 2013 के बाद से कुल्लू में तैनात हैं। इसके अलावा बटालियन के साथ-साथ जम्मू व कश्मीर की संवेदनशील सीमाओं पर तैनाती रही।
कुल्लू में हैं तैनात, यहां भी खौफ।
इस वक्त दबंग पुलिस कर्मी कुल्लू पुलिस में तैनात है। केवल दो साल के मामलों की ही चर्चा की जाए तो राजेश ने काफी कुछ हासिल किया है। हर किसी को प्राचीन रघुनाथ मंदिर की चोरी याद है। इसकी गुत्थी सुलझाने में एसआईटी का हिस्सा बने। 10 सदस्यीय टीम ने इसको बेपर्दा किया, जिसमें जवान ने अहम भूमिका निभाई थी। बंदरोल ब्लाइंड मर्डर भी चर्चित हुआ। इसकी गुत्थी 149 दिनों के बाद सुलझाने में राजेश ही अहम किरदार थे। एक मामले में घर से लाखों की नकदी की चोरी हुई। 10 लाख की शिकायत हुई थी, लेकिन मंडी की सीमा पर 49 लाख की बरामदगी करवाकर इस जवान ने अपने तेज दिमाग का भी उदाहरण पेश किया।
क्राइम ब्रांच मंडी में दबंग पुलिस जवान।
मंडी में अपनी तैनाती के दौरान दबंग राजेश ने ऐसे कारनामे किए, जिसके बूते अवार्ड भी हासिल हुए। बड़ी चोरी की गुत्थी सुलझानी थी, आरोपी मुंबई के रैड लाइट एरिया में जा छिपा था। अकेले ही इलाके में घुसकर आरोपी को दबोच लाए। यह मामला 2006 का था। इसके बाद डकैती की वारदात को अंजाम देने वाले आरोपी उत्तर प्रदेश से धर दबोचे। इस जांबांज सिपाही के केवल चुनिंदा मामलों का ही यहां जिक्र किया जा रहा है।
धर्मशाला में तैनाती के दौरान…
2009 में कांस्टेबल से हैड कांस्टेबल के पद पर प्रमोट हो गए। यहां दसवीं बटालियन में तैनाती मिली। साथ ही एसआईयू धर्मशाला में संबद्ध कर दिए गए। यहां अपने गुरु हैड कांस्टेबल संजीव रालिया के साथ कार्य करने का मौका मिला, जो खुद साइबर क्राइम में एक्सपर्ट हैं। कुल्लू आने से पहले ट्रैक्टरों की चोरी की कई वारदातों को सुलझाया। साथ ही साइबर क्राइम में भी विशेषता हासिल की।